देवेश प्रताप सिंह राठौर,
वरिष्ठ पत्रकार
उत्तर प्रदेश झांसी के वरिष्ठ फिजीशियन डॉक्टर डी एस गुप्ता का संक्षिप्त जीवन परिचय विवरण पोस्टिंग 1990 ललितपुर एडहॉक फिर 91 स्थायी पोस्टिंग ललितपुर डीटीओ प्रभारी 1993 फिर झांसी सीएचसी बबीना प्रथम सिजेरियन मेरे प्रयास से किया गया, फिर झांसी टीबी क्लिनिक ने दो बार काम कियाटीबी क्लिनिक में ओपीडी और जिला अस्पताल में इमरजेंसी तो अलीगढ़ ने कार्डियक अस्पताल में भी किया अस्थायी पेसमेकर, झांसी अलीगढ़ में भी इमरजेंसी के साथ-साथ पोस्टमॉर्टम ड्यूटी मैंने डिप्लोमा योग दूर कियामैंने एमएस (ईएनटी) के प्रथम वर्ष के दौरान डिप्लोमा योग किया, फिर उसी आईएमएस में एमडी चेस्ट में शामिल हो गया, मेरी बड़ी बेटी बीटेक एमबीए है, डॉक्टर से शादी की, पिछले हफ्ते एमडी किया बेटा वर्तमान में बबीना में संघर्ष कर रहा है,जिला अस्पताल स्तर पर ब्रेन स्ट्रोक प्रबंधन में झांसी में मेरे पहंचने से अपनी घड़ी मिलाते हुए अव्वल जिला अस्पताल स्तर पर ब्रेन स्ट्रोक प्रबंधन में झांसी में मेरे पहंचने से अपनी घड़ी मिलाते हुए और भारत में सबसे अच्छा डीएनटी
डॉक्टर डी एस गुप्ता एक बहुत ही सुलझे और मरीजों के प्रति जो उनका व्यवहार है और कार्य है बहुत ही सरल पर्वत के डॉक्टर और बहुत ही उच्च कोटि का व्यवहार और कार्य है आज इनके जिला चिकित्सालय से अवकाश प्राप्त होने पर सैकड़ों हजारों मरीज जो जिला चिकित्सालय में लंबी लाइनों में अपने मर्ज का इलाज दिखाने के लिए डॉक्टर डी एस गुप्ता के इंतजार में खड़े रहते थे उन मरीजों का मैंने जब जानकारी चाहिए बहुत लोग विचलित दिखाई दे रहे थे डॉक्टर डी एस गुप्ता के रिटायरमेंट हो जाने से जैसे वह जिला चिकित्सालय में अनाथ हो गए हैं ऐसी स्थिति में मरीज और डॉक्टर के बीच में मैंने ने जिला चिकित्सालय में जाकर देखा वास्तव में डॉक्टर ईश्वर का प्रतिनिधि होता है और दवाई से ज्यादा डॉक्टर की भाषा शैली और व्यवहार बहुत मायने रखता है वह डॉक्टर डी एस गुप्ता में सरलता व्यवहार और मरीज के प्रति कभी गुस्सा नहीं आता मैंने बहुत सालों से मेरा उनसे संपर्क है आज तक मैंने मरीज को उन्हें डांटते नहीं देखा चाहे मरीज जितनी बार उसे दवाई के बारे में पूछे जितनी बार दिखाने आए उनका व्यवहार और उनकी साली नेता और उनकी सरल था वास्तव में महान है हमारा आमजा भारत परिवार डी एस गुप्ता रिटायरमेंट के बाद अपनी दूसरी पारी में जनता और मरीजों के प्रति उसी तरह व्यवहार बनाए रहे जैसे जिला चिकित्सालय में लोगों के साथ मरीजों के साथ उनका जो व्यवहार था और मरीजों के प्रति उनकी सोच और सेवाएं उससे अधिक प्रदान करें हमारे पूरे आमजा भारत परिवार की ओर से बहुत-बहुत बधाइयां और शुभकामनाएं आगे की पारी के लिए मरीजों के प्रति व्यवहार सदाचार और भाव हमेशा सकारात्मक हो।
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