चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि। महाकवि गोस्वामी तुलसीदास की जन्मभूमि राजापुर समेत कई ग्रामसभाओं से कांवरियों का जत्था बाबा बैजनाथ के जयकार करते हुए मिनी बस से मानिकपुर के लिए रवाना हुए।
बुधवार को गुरु पूर्णिमा से कांवरियों का जत्था राजापुर सहित ग्रामीण अंचलों से श्रद्धा के साथ श्रावण मास के पूरे माह शिवालयो व चित्रकूटधाम के मत्स्यगजेंद्रनाथ महाराज के मन्दिरों में श्रद्धालुओं का ताँता लगा रहता है। वहीं खटवारा, मलवारा, नांदिन कुर्मियान, सिकरी, अर्जुनपुर, छीबों, भभेंट, रम्पुरिया, चोरहा, पैकौरा आदि ग्रामीण अंचलों के श्रद्धा भाव व उत्साह के साथ मलवारा के बीपी सिंह, बीरेंद्र सिंह व खटवारा के मनोज द्विवेदी, आशुतोष तिवारी की अगुवाई में मिनी बस से जालिम यादव, माताबदल, अखिलेश मिश्रा, देवराज, सुखीवा, रामकल्याण, अनिल प्रजापति, शिवचरण सिंह, राजेश सिंह, लवकुश, सोनू गुप्ता, नर्वदे सिंह, राजू सिंह, दिनेश साहू, करन, हरिश्चंद्र, रामकिशोर साहू
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काविरयो का जत्था। |
आदि बोल बम बोल बम व बाबा बैजनाथ की जयकार लगाकर रवाना हुए। बताते हैं कि दशानन रावण भगवान शिवशंकर की घोर तपस्या करके प्रसन्न किया था और अपने साथ लंका चलने का हठ किया था। भगवान शिवशंकर ने एक शिवलिंग रावण को दिया था और कहा कि यह शिवलिंग रास्ते में रखना नहीं, नहीं तो वहीं पर यह शिवलिंग स्थापित हो जाएगी। रावण को लघुशंका हुई तो उसने बैजू नाम के ग्वाले को उस शिवलिंग को दे दिया और श्रीहरि विष्णु के रूप में बैजू ग्वाले ने शिवलिंग को जमीन पर रख दिया तभी से इसे रमणेश्वर कानन, चिताभूमि, रणखण्ड व बैजनाथ धाम तथा कामनालिंग के नाम से जाना जाता है। उन्होंने बताया कि श्रद्धा भाव से बैजनाथ धाम जाने वाले श्रद्धालुओं की कामना भगवान शिवशंकर अवश्य पूरी करते हैं।
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