गाँव, गौशाला व विकास के आंकड़ों मे लाखों खर्च, मौके पर व्यवस्था धड़ाम
बांदा, के एस दुबे । जिलाधिकारी लगातार प्रतिदिन बिकास के साथ जनकल्याण की सरकारी योजनाओं को शतप्रतिशत जमीन पर उतारने के लिए काफी भागदौड और मेहनत के प्रयास जारी किए हुए हैं ।प्रदेश सरकार की जीरो टालरेंस भ्रष्टाचार मुक्त शासन की परिपाटी को मूर्त रूप से अमलीजामा पहनाने की भरसक कोशिश भी करते देखे जा रहे है। जिसके लिए जनभागीदारी और सरकारी धन की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए शासन को अपने माध्यम से डिमांड भी भेज रहे है। और वर्तमान सरकार भी बिकास की धारा को बिना किसी ब्रैक के बहाने मे कोशिश कर रही हैं। ।जिसके लिए समय- समय पर पैकेज की सौगात जिले को मिल रही हैं।जैसे सुगम यातायात, रोजगार, किसानों के बिकास , गोवंश संरक्षण व ग्रामीण क्षेत्रों में जनसुविधा की योजनाएं मुख्य हैं। लेकिन इन सभी योजनाओं को जमीन पर उतारकर शतप्रतिशत परिणाम देने मे कुछ लापरवाह कर्मचारी कोई रूचि लेते दिखाई नही दे रहे है।
ये आलसी कर्मचारी योजनाओं को खाली कागजी फाइलों में दौडाकर अपनी जेबों को भरने के लिए बिकास के बजट को लूटने मे लगे हैं जिसके लिए कागजीआंकड़ों में सब आल इज वेल दिखा रहे हैं। जिसमें एक उदाहरण स्वरूप ग्राम बिकास अधिकारी त्रिवेणी प्रसाद की कार्यशैली हैं ।जिनके कंधों पर नरैनी ब्लॉक का गाँव पियार मे बिकास, गोवंश संरक्षण, किसानों,व क्षेत्रीय ग्रामीणों की स्थिति को बेहतर बनाने जिम्मेदारी दी गई है।जिसमें ग्राम प्रधान के सहयोग से जनकल्याण कारी योजनाओं के माध्यम से बिकास कराने का लक्ष्य दिया गया। परिणाम उसके उलट सचिव ने प्रधान व रोजगार सेवक खुद के बिकास पर पूरी तनमयता से ऊर्जा खर्च कर दी और ग्रामीण विकास उसी चौराहे पर आगे की राह में सरपट दौडने के लिए खडा दिखाई दे रहा। जब इन ग्रामीण क्षेत्रों के ग्रामीणों ने आज सोशल आडिट की खुली बैठक मे ग्रामीणों ने मनरेगा मे हो रही धाँधली की जानकारी दी कि यहां पर मेडबंदी हो या सेक्टर तथा समतलीकरण मजदूरों से काम न करवाकर ट्रेक्टरो व जे. सी .बी . मशीनों से काम करवाया जाता है तथा जाँबकार्ड मे मजदूरों के नाम पैसा भेजकर उनसे वसूल कर लि जाते है इस काम को गांव का ही निवासी रोजगार सेवक बखूबी तरीकें से करता है वास्तविक मजदूर मजदूरी करने के लिए दर दर की ठोकरें खाते घूम रहा बिना काम मे गये ही कुछ लोगों के खाते मे पैसा भेजा जा रहा है। गौशाला का हाल जाना तो ग्रामीणों ने सारी हकीकत बयां कर दुखडा सुनाना शुरू कर दिया कि हमारे खेतो मे ज्वार अरहर मूँग उडद की फसल बो दी गयी है तथा फसल निकल आयी है परन्तु गौवँश खुला होने की वजह से हमारी फसले चौपट हो रही है यह बात आज सोशल आडिट की खुली बैठक मे ग्रामीणों ने जानकारी दी। गौशाला में सरकारी कागजों में लगभग एक सौ पचास गोवंश दर्ज है परन्तु मौके मे गौशाला मे एक भी गौवँश नही इसकी जानकारी जिला मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को दी गयी तो उन्होंने आश्वासन दिया कि हम देखवाते है । बदहाल गौशाला में बिना समुचित छाया, प्रकाश ,पौष्टिक पानी आहार,भोजन आदि की व्यवस्था नही मौजूद ।ताज्जुब की बात यह है कि इस गौशाला में संख्या बल के हिसाब से हर माह बजट डिमांड दी गई इन बेजुबानों के रखरखाव का धन किसकी भूख मिटा रहा है।जो जाँच का बिषय है जिसकी जाँच पड़ताल कर जिम्मैदारी तय हो साथ ही वसूली कर दंड देने से अन्य लापरवाह कर्मचारियों के लिए सीख बन सकती हैं । यहाँ काफी समय से गोवंश संरक्षित ही नहीं थे तो उनके नाम पर कैसे लाखों रुपए खर्च दिए गए।यह पूरा खेल समझ से परे हैं। इस दौरान कुछ ग्रामीणों ने नाम और पहचान गुप्त रखने की शर्त पर गोशाला की बदहाली की पोल खोल दी।
प्रधान, सचिव व रोजगार सेवक ने फेरा डीएम के आदेशों पर पानी
बांदा। एक ओर डीएम अनुराग पटेल जहाँ गोवंश की उचित ब्यवस्था के हाईलेवल मीटिंग और जनभागीदारी से उनके राशन की ब्यवस्था के भूसादान महाभियान चला लोगों को प्रेरित करने के साथ बडे आयोजन और प्रोत्साहन देने मे पसीना बहा रहे है तो उनकी इस मेहनत को कुछ अकर्मण्य लापरवाह और भ्रष्ट जिम्मेदार राजनैतिक संरक्षण के दम पर ठेंगा दिखा रहे है जिसमें मौजूदा नरैनी ब्लाक के सचिव प्रधान रोजगार सेवक ने सारी हदे पार कर दी जब सोशल आडिट की खुली बैठक मे ग्रामीणों ने इनकी पोल खोलना शुरू किया तथा आडिट टीम वालो ने ग्रामीणों की शिकायतों को गँभीरता से लेते हुए पूरी बात को सुना तथा ग्रामीणों को उनके हक एवँ अधिकार दिलाने का आश्वासन दिया तथा पँचायत के जिम्मेदारो के खिलाफ कार्यवाही करवाने की बात खुली बैठक मे की तो रोजगार सेवक व प्रधान के हाँथ पाँव फूलने लगे तथा रोजगार सेवक व प्रधान टीम से आरजू मिन्नतें करते नजर आ रहे थे। लेकिन सोशल आडिट के ब्लाक रिसोर्स पर्सन रामसेवक प्रजापति ने इनकी कारगुजारियों को सुन कर इनके खिलाफ
बिभागीय कार्रवाई का डंडा चलाने का आश्वासन ग्रामीणों को दे दिया तो इन्होंने अपने राजनैतिक आकाओं से उच्चाधिकारियों पर शिफारिश कराते हुए दबाव का दांव पेंच लगाना शुरू कर दिया।और डीएम अनुराग की पूरी मेहनत पर धनबल, राजनैतिक, और हठधर्मिता से पानी फेरने का खेल जारी कर दिया।अब देखने वाली बात तो यह होगी इनके खिलाफ अब कैसी कार्यवाही होगी।
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