आर्यकन्या इण्टर कालेज में बताई गई पानी की उपयोगिता
बांदा, के एस दुबे । मंगलवार को कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संचालित जन शिक्षण संस्थान ने स्वच्छता पखवाडा के अर्न्तगत ”डेमो आन वाटर मैनेजमेन्ट“ का आयोजन आर्य कन्या इण्टर कालेज में किया गया जिसमे मुख्य अतिथि श्रीमती शमीम बानो, प्रबंधक आर्य कन्या इण्टर कालेज व श्रीमती पूनम गुप्ता प्रधानाचार्या आर्य कन्या इण्टर कालेज रहीं।
कार्यक्रम के शुभारम्भ में मुख्य अतिथि श्रीमती शमीम बानो ने जन शिक्षण संस्थान के द्वारा किये जा रहे कार्यक्रमों की सराहना करते हुये वाटर मैनेजमेन्ट कार्यक्रम के दौरान बताया कि पानी तकरीबन 70 फीसदी धरती की जगह को ढकता है पंरतु इसमें से केवल 3 फीसदी पानी ही साफ है। इसमें से 2 फीसदी ध्रुवीय बर्फीले इलाको में है केवल
1 फीसदी प्रयोग करने योग्य पानी नदियों, झीलो और अवभूमि जलवाही स्तर में है। इसका सिर्फ शेष मात्र का ही इस्तेमाल किया जा सकता है। संस्थान के निदेशक मोह0 सलीम अख्तर जी द्वारा कार्यक्रम के दौरान बताया गया कि मनुष्यों के पॉच तत्वों में सब से ज्यादा जल का महत्व है लिहाजा अपनी जिम्मेदारी समझे कि रैन वाटर को कैसे सुरक्षित रखें पानी की बरबादी कम करना होगा और कहा कि जल अमूल्य है जल ही जीवन है जल श्रोत को स्टोर करके इस खतरे से बचा जा सकता है। कार्यक्रम अधिकारी श्री संजय कुमार पाण्डेय जी द्वारा जल संचयन के बारे में बताया गया कि पानी बचाओ अभियान पानी की कमी के खतरों के बारे मे हर जगह लोगो को जागरूक करना आवश्यक है दुनिया के जल संसाधनो के बेहतर प्रबंधन के लिये कई ऐसे उपायों को अपनाने की जरूरत है जिससे जल के संकट से बचा जा सकता है। कार्यक्रम अधिकारी श्री सौम्य खरे जी द्वारा बताया कि जल ही जीवन है अर्थात जल के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नही की जा सकती है जल, मानव जाति के लिये प्रकृति के अनमोल उपहारों में से एक है। जल या पानी एक आम रासायनिक पदार्थ है जिसका अणु दो हाइड्रोजन परमाणु और एक आक्सीजन परमाणु से बना है भव् यह सारे प्राणियों के जीवन का आधार है। संस्थान के लेखाकार श्री लक्ष्मीकान्त दीक्षित ने कहा कि पृथ्वी का लगभग 70 फीसदी सतह जल से अच्छादित है जो अधिकतर महासागरों और अन्य बडे जल निकायों का हिस्सा होता है भारत में जल के उपयोग की मात्रा बहुत ही सीमित है। इसके अलावा देश के किसी न किसी हिस्से में प्रायः बाढ और सूखे की चुनौतियां का भी सामना करना पडता है। भारत में वर्षा में अत्यधिक स्थानिक विभिन्नता पाई जाती है और वर्षा मुख्य रूप से मानसूनी मौसम पर सकेन्द्रित है। उक्त कार्यक्रम में संस्थान के कार्यक्रम समन्वयक श्री नीरज श्रीवास्तव, सहा0 कार्यक्रम अधिकारी मयंक सिंह, क्षेत्र सहायिका शिवांगी, चालक नीरज कुशवाहा, मनोज कुमार सहित 60 लोग कार्यक्रम में उपस्थित रहें।
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