आशाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी को ‘पद्मा एकादशी’, -पद्मनाभा एकादशी’ एवं ‘देवशयनी एकादशी ’ के नाम से जाना जाता है इस दिन चतुरमास का आरम्भ होता है। इस वर्ष देवशयनी एकादशी 10 जुलाई, को है। एकादशी 9 जुलाई को सांयकाल 4:39 से प्रारम्भ होकर 10 जुलाई को दिन में 2:13 तक है।
इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु क्षीर-सागर में शयन करते है। चार माह भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते है ऐसा भी मत है कि भगवान विष्णु इस दिन से पाताल में राजा बलि के द्वार पर निवास करके कार्तिक शुक्ल एकादशी को लौटते हैं। इन चार माह में मांगालिक कार्य नहीं किये जाते है। चार माह बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रबोधिनी एकादशी को योग निद्रा से श्री हरि विष्णु जाग्रत होते है। इन चार माह में तपस्वी भ्रमण नहीं करते एक ही स्थान पर रहकर तपस्या करते है। देवशयनी एकादशी को भगवान् विष्णु के विग्रह को पंचामृत से स्नान कराकर
धूप-दीप आदि से पूजन करना चाहिए, तदुपरान्त यथाशक्ति सोना-चाँदी आदि की शय्या के ऊपर बिस्तर बिछाकर और उस पर पीले रंग का रेशमी कपड़ा बिछाकर भगवान् विष्णु को शयन करवाना चाहिए देवशयनी एकादशी का व्रत करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। सभी बाधाएं दूर होती हैं। धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती है। एकादशी व्रत का पारण 11 जुलाई को प्रातः होगा
धूप-दीप आदि से पूजन करना चाहिए, तदुपरान्त यथाशक्ति सोना-चाँदी आदि की शय्या के ऊपर बिस्तर बिछाकर और उस पर पीले रंग का रेशमी कपड़ा बिछाकर भगवान् विष्णु को शयन करवाना चाहिए देवशयनी एकादशी का व्रत करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। सभी बाधाएं दूर होती हैं। धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती है। एकादशी व्रत का पारण 11 जुलाई को प्रातः होगा
10 जुलाई से देवशयनी एकादशी से चातुर्मास मास प्रारम्भ होकर 4 नवम्बर तक रहेगा। इस बीच विवाह आदि कार्य नहीं होगें। 2 अक्टूबर से 56 दिन के लिए अस्त शुक्र 20 नवम्बर को उदय होंगे उसके बाद 24 नवम्बर से विवाह मुहूर्त मिलेंगे। 16 दिसम्बर से सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने से खरमास लग जायेगा और विवाह कार्य नहीं होंगे मकर संक्रान्ति जनवरी 2023 के बाद विवाह आदि कार्य होगें
वर्ष 2022
विवाह मुर्हूत- नवम्बर 24, 25, 26, 27, 28 दिसम्बर 2, 3, 4, 7, 8 ,9,13,14 ,15, 16
ज्योतिशाचार्य एस.एस. नागपाल, स्वास्तिक ज्योतिष केन्द्र, अलीगंज, लखनऊ
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