कैनामाइसीन इंजेक्शन की जगह दी जाएगी बीडाकुलीन दवा
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि। गम्भीर टीबी वाले मरीज (एमडीआर रोगी) जो नौ माह तक इंजेक्शन के दर्द से जूझते थे ऐसे मरीजों के लिए राहत वाली खबर है। ऐसे मरीजों को इंजेक्शन से मुक्ति दिलाने के लिए नई दवा ‘बीडाकुलीन’ लांच की गई है। सीएमओ कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में एमडीआर रोगी को यह दवा देकर सेवन के तरीके बताए गए।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. भूपेश द्विवेदी ने बताया कि जिस मरीज में एमडीआर की पुष्टि होगी उसे नौ से ग्यारह माह तक यह दवा खाना पड़ेगा। उन्होंने बताया की अब गंभीर टीबी रोग (एमडीआर) मरीजों को इंजेक्शन के दर्द से राहत मिलेगी, क्योकि इंजेक्शन की जगह बीडाकुलीन टेबलेट से ही काम चल जाएगा। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. बीके अग्रवाल ने बताया कि एमडीआर टीबी के मरीजों को रोजाना इंजेक्शन लगवाने से असहनीय पीड़ा होती है। इसलिए अब खाने वाली दवा से ही उपचार हो जाएगा। उन्होंने बताया कि टीबी के उपचार को लगातार ज्यादा कारगर और कम कष्टकारी बनाया जा रहा है। केंद्र सरकार 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने के प्रयास में जुटी है। इसी कड़ी में इंजेक्शन के स्थान पर एमडीआर टीबी के ओरल उपचार के लिए बीडाकुलीन दवा लांच की गई है।
दवा लांच करते सीएमओ।
क्या है एमडीआर टीबी
चित्रकूट। मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस टीबी (एमडीआर) में फर्स्ट लाइन ड्रग का टीबी के जीवाणु (माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस) पर कोई असर नहीं होता है। अगर टीबी का मरीज नियमित रूप से टीबी की दवाई नहीं लेता है या मरीज द्वारा जब गलत तरीके से टीबी की दवा ली जाती है या मरीज को गलत तरीके से दवा दी जाती है और या फिर टीबी का रोगी बीच में ही टीबी के कोर्स को छोड़ देता है (टीबी के मामले में अगर एक दिन भी दवा खानी छूट जाती है तब भी खतरा होता है) तो रोगी को मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस टीबी हो सकती है। इस मौके पर भाजपा नेत्री, दिव्या त्रिपाठी, डीपीसी ज्ञानचन्द्र शुक्ला, भोला प्रसाद आदि रहे।
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