ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को निर्जला एकादशी और भीमसेन एकादशी कहते है। एकादशी के सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक जल ग्रहण न करने के विधान के कारण इसे निर्जला एकादशी कहते है। भीम ने केवल यहीं एकादशी करके सारी एकादशी का फल प्राप्त किया था। इस वर्ष इस साल ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि का प्रारंभ 10 जून दिन शुक्रवार को प्रात: 07:25 पर हो रहा है. एकादशी तिथि 11 जून शनिवार को प्रात: 05:45 तक मान्य है. इस वर्ष एकादशी का व्रत दो दिन है गृहस्थ लोगों के लिए निर्जला एकादशी व्रत 10 जून को है 11 जून को पारण का समय प्रात: 05 :49 से 08:29 तक है और साधु संन्यासी के लिए निर्जला एकादशी व्रत 11 जून को है 12 जून को पारण का समय प्रात: 05 :12 से 09:48 तक है
इस दिन महिलाएं अन्न, फल और बिना जल के पूरे दिन उपवास करती है। इस व्रत को करने से आयु और अरोग्य की वृद्वि होती है। मान्यता है कि अधिक मास सहित एक साल की 26 एकादशी न की जा सकें तो केवल निर्जला एकादशी व्रत करने से ही पूरा फल प्राप्त होता है। इस दिन व्रती को भगवान श्री विष्णु का जप और ध्यान करना चाहिये। एकादशी के दिन शाम को तुलसी के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाकर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए इससे धन्य धान की प्राप्ति होती है कर्ज से मुक्ति मिलती है व्यापार और नौकरी में वृद्धि होती है पूरे दिन उपवास के बाद द्वादशी के दिन प्रातःकाल स्नान आदि कर अन्न, वस्त्र, छाता, पंखी ,घड़ा खरबूजा इत्यादि दान करना चाहिए-
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