फतेहपुर, शमशाद खान । जिले में लगातार यमुना की जलधारा से अवैध खनन करते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, लेकिन जिम्मेदारों की निंद्रा अब तक भंग नहीं हो सकी। खनिज विभाग को तो और ही बुरा हाल है। खनिज अधिकारी को जब भी फोन मिलाकर कोई जानकारी करने का प्रयास किया जाता है तो फोन की घंटी घनघनाती रहती है, लेकिन फोन रिसीव करने वाला कोई नहीं होता है। ऐसे में माफिया-खनिज गठजोड़ पर सवाल उठना लाजिमी है। रविवार को पूरे दिन ललौली थाना क्षेत्र के मोरंग खंड में बूम मशीन से जलधारा के अंदर से मोरंग निकालने का वीडियो पूरे दिन वायरल होता रहा, लेकिन किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने न तो इस वीडियो को सज्ञान में लिया और न ही कानून के विपरीत मोरंग खनन करने वालों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई ही अमल में लाई जा सकी।
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यमुना की जलधारा के बीच अवैध खनन में लगी पोकलैंड। |
वैसे तो यह जनपद ‘‘लाल सोना’’ की लूट के लिए पहले ही चर्चित रहा है। योगी सरकार एक में इस लूट पर लगाम नहीं लग सका था। योगी सरकार-2 में लोगों का मानना था कि अवैध खनन को बढ़ावा देने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, लेकिन अभी तक तो ऐसा कुछ भी देखने या सुनने का नहीं मिला जिससे मोरंग माफिया सबक सीख सकें। जिले का यह कोई पहला वीडियो नहीं वायरल हो रहा है। आए दिन कोर्राकनक, ओती के अलावा किशनपुर के संगोलीपुर मडैयन आदि खदानों में मोरंग माफियाओं की काली-करतूतों, एनजीटी के नियमों की धज्जियां उड़ाते वीडियो वायरल होते रहते हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर एक-दो मामले छोंड़ दिए जाएं ंतो परिणाम शून्य ही रहा है। ललौली थाना के अड़ावल कंपोजिट एक (खंड़ नंबर 09) का कालिंदी की सीना छलनी करते जिस तरह से रविवार को वीडियो वायरल होता रहा, उससे तो स्पष्ट होता है कि मोरंग माफिया को कहीं न कहीं से बरदहस्त प्राप्त है। साथ ही खनिज विभाग और जिला प्रशासन के जिम्मेदारों का कार्रवाई न करना भी सवालों के घेरे में है। एनजीटी के नियमों को धता बताते हुए अवैध मोरंग खनन के कारोबार को बढ़ावा देने वाले अकूत दौलत तो जुटा रहे हैं, लेकिन जलीय जीव-जंतुओं और वन्य जीवों को इससे होने वाले नुकसान की भरपाई करने या कानून का मखौल बनने से बचाने की दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठाया जाना कहीं ने कहीं उनकी निष्ठा पर सवाल खड़ा करता है।
खनिज अधिकारी का नहीं उठा फोन
फतेहपुर। अढ़ावल कंपोजिट एक (खंड नंबर-09) के वायरल वीडियो के बावत खनिज अधिकारी राजेश कुमार के मोबाईल नंबर पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनके फोन की घंटी घनघनाती रही, परन्तु कॉल रिसीव नहीं हो सकी। इससे प्रशासनिक कार्यवाही या पक्ष साझा नहीं किया जा सका।
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