प्रभावित क्षेत्रों में आरआरटी लेगी नमूने
मच्छर पनपने वाले स्थलों को किया जाएगा ख़त्म
मच्छरजनित रोगों की रोकथाम के बारे में किया जायेगा प्रशिक्षित
बांदा, के एस दुबे । मच्छरजनित रोगों की पहचान और रोकथाम के लिए लैब टेक्नीशियन, लैब असिस्टेंट, हेल्थ सुपरवाइजर सहित मलेरिया विभाग के कर्मियों को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। बुखार का मरीज मिलने पर रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) द्वारा प्रभावित क्षेत्र में जाकर मलेरिया बुखार की जांच और संक्रमण की रोकथाम की विस्तार से जानकारी दी गई।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी सभागार में बृहस्पतिवार को झांसी से आए प्रशिक्षक मंडलीय एंटोमेलॉजिकल रविदास ने कहा कि बुखार मरीज मिलने पर प्रभावित क्षेत्र में आसपास कम से कम 50 घरों में मच्छर पनपने वाले स्थल यानी सोर्स रिडक्शन को दूर किया जाएगा। जल भराव वाले स्थानों व नालियों में लार्वा निरोधक दवा का छिड़काव किया जाना चाहिए। इसके साथ ही समुदाय में लोगों को जागरूक करें, जिससे महामारी को फैलने से रोका जा सके। प्रशिक्षक ने मलेरिया, फाइलेरिया एवं डेंगू फैलाने वाले मच्छरों की पहचान, प्रजनन का स्थान, लार्वा के प्रकार तथा लार्वा निरोधक दवा (टेलीफास), डीडीटी, पैराथ्रम इत्यादि के छिड़काव के बार में विस्तार से जानकारी दी।
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प्रशिक्षण में मौजूद स्वास्थ्य कर्मचारी |
जिला मलेरिया अधिकारी पूजा अहिरवार ने बताया कि जब किसी व्यक्ति को मलेरिया संक्रमित मच्छर काटता हैं, तो उसमे मौजूद प्लाज्मोडियम परजीवी अपना स्पोरोजॉइट इंफेक्शन खून में लार के रूप में छोड़कर व्यक्ति को संक्रमित कर देता है। शरीर में प्रवेश करने के आधे घंटे के अंदर यह परजीवी व्यक्ति के लिवर को संक्रमित कर देता है। लिवर के भीतर मलेरिया को फैलाने वाले छोटे जीव मीरोजॉइट्स बनने लगते हैं। यह लिवर से रक्त में फैलकर लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं, इससे लाल रक्त कण टूटने लगते हैं और व्यक्ति को मलेरिया हो जाता हैं। इलाज पूरा नहीं लेने पर ये मीरोजॉइट्स बाहर नहीं निकलते। कुछ समय बाद दोबारा व्यक्ति को परेशानी शुरू हो जाती है।
यह हैं मलेरिया के लक्षण
बांदा। अचानक सर्दी लगना, फिर गर्मी लगकर तेज बुखार होना, पसीना आकर बुखार कम होना व कमजोर महसूस करना, दो से सात दिन तक तेज बुखार रहना, सांस लेने में तकलीफ होना, हाथ-पैर में ऐंठन, मिचली, उल्टी आना या महसूस होना, शरीर पर लाल-गुलाबी चकत्ते होना, आंखें लाल रहना, दर्द रहना, हमेशा थका-थका और कमजोरी महसूस करना, भूख न लगना, खाने की इच्छा में कमी, मुंह का स्वाद खराब होना, पेट खराब होना।
ऐसे करें बचाव
बांदा। घर में सोते समय मच्छर दानी का प्रयोग करें, घर में मच्छर भगाने वाले क्वायल, लिक्विड, इलेक्ट्रॉनिक बैट आदि का प्रयोग करें, घरों के अंदर डीडीटी जैसी कीटनाशकों का छिड़काव कराएं, बाहर जाने से पहले मॉसकीटो रेप्लेंट क्रीम का इस्तेमाल करें, घर के आसपास जलभराव न होने दें। उस पानी में मिटटी का तेल या जला तेल छिड़कें, सप्ताह मे एक बार पानी की टंकियों मटके, कूलर आदि खाली करके सुखाएं।
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