चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि। भगवान कामतानाथ की तलहटी ग्राम पंचायत बिहारा में चल रही सात दिवसीय श्रीमदभागवत कथा ज्ञान यज्ञ के आखरी दिन कथा व्यास आचार्य नवलेश दीक्षित ने विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि सातवें दिन कृष्ण के अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया गया। मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मा देवकी को वापस देना, सुभद्रा हरण का आख्यान कहना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास आचार्य भागवतरत्न नवलेश दीक्षित ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण और सुदामा जी से समझ सकते हैं।
भागवतरत्न आचार्य नवलेश दीक्षित।
उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र श्रीकृष्ण से मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे। द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं। इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है। अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे। सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया और सुदामा को अपने महल में ले गए। अभिनंदन किया। इस रहस्य को देखकर श्रोता भाव विभोर हो गए। इस दौरान श्रोतागणों ने सुदामा और कृष्ण की झांकी पर फूलों की वर्षा की। इसके बाद मिश्रा परिवार द्वारा प्रसाद वितरण किया गया। श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन स्वर्गीय शांति देवी मिश्रा की स्मृति में उनके पति राम स्वयंवर मिश्रा ने किया है। इस अवसर पर उनके साथ परिवार के सदस्य राम नरेश मिश्रा, रमाकांत मिश्रा, भोले राम शुक्ला, पूरन सोनी, बाबूलाल पांडेय, अरुण कुमार त्रिपाठी, श्यामलाल दुबे, उदयभान द्विवेदी आदि मौजूद रहे।
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