चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि। भगवान श्रीकृष्ण की जन्म कथा का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। कथा व्यास भागवत रत्न आचार्य नवलेश दीक्षित ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों का उद्धार व पृथ्वी को दैत्य शक्तियों से मुक्त कराने के लिए अवतार लिया था। उन्होंने कहा कि जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं।
भगवान श्री कामतानाथ की तलहटी ग्राम बिहारा पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग व उनके जन्म लेने के गूढ़ रहस्यों को कथा व्यास ने बेहद संजीदगी के साथ सुनाया। कथा प्रसंग सुनाते हुए कथा व्यास ने बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी तो भगवान कृष्ण को
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भागवताचार्य नवलेश दीक्षित। |
अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। श्रीमद् भागवत कथा के दौरान राधा कृष्ण की झांकी का भी दर्शन श्रोताओं को कराया गया।जैसे ही कथा व्यास बताया कि भगवान का जन्म हो चुका नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की सुनकर पंडाल में बैठे श्रद्धालु झूम उठे। श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन राम स्वयंवर मिश्रा ने अपनी पत्नी स्वर्गीय शांति देवी की स्मृति में कराई है। भागवत कथा के अवसर पर अरुण कुमार त्रिपाठी, बाबूलाल पांडेय, श्यामलाल द्विवेदी, अजीत कुमार पटेल, रामनरेश मिश्रा, रजनीश तिवारी, सूर्यपाल शुक्ला, अंश मिश्रा आदि मौजूद रहे।
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