महिला अस्पताल के बाहर लगा वाटर प्लांट बंद, जिम्मेदार बेपरवाह
बांदा, के एस दुबे । लाखों रुपए की लागत से जिला महिला अस्पताल के सामने लगवाया गया वाटर प्लांट सफेद हाथी साबित हो रहा है। गर्मी के इन दिनों में जहां शीतल पेयजल मिलना चाहिए, वहां वाटर प्लांट धूल फांक रहा है। जिला अस्पताल कैंपस में मरीजों को शीतल जल नहीं मिल पा रहा है। जबरदस्त गर्मी में अस्पताल के जिम्मेदारों की शिथिल कार्यप्रणाली का यह नतीजा है। देर से ही सही लेकिन अब जिला अस्पताल प्रशासन अस्पताल के वाटर कूलर आदि की मरम्मत कराने में जुट गया है। फ्रीजर के माध्यम से अस्पताल आने वाले मरीजों और तीमारदारों को शीतल जल उपलब्ध हो सकेगा। सोमवार को मरम्मत कर रहे इलेक्ट्रीशियन पसीना बहाते नजर आए।
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वाटर कूलर की मरम्मत करता इलेक्ट्रीशियन |
सरकारी अस्प्ताल में आने वाले मरीजों को ठंडा पानी उपलब्ध कराने के लिए पूर्व में जिला अस्पताल प्रशासन की ओर से दो वाटर प्लांट लगवाए गए थे। एक महिला अस्पताल के बाहर और दूसरा वाटर प्लांट जिला अस्पताल के अंदर बर्न वार्ड के सामने बनाया गया था। बर्न वार्ड के सामने लगाया गया वाटर प्लांट तो चल रहा है लेकिन जिला महिला अस्पताल के सामने लगा वाटर प्लांट जिम्मेदारों की बेपरवाही के कारण धूल फांक रहा है। स्वास्थ्य विभाग भी इस ओर से आंखें फेरे हुए है। जिला अस्पताल कैंपस में एक भी हैंडपंप न होने के कारण मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अप्रैम माह के दूसरे पखवारे के अंतिम दिनों में जिला अस्पताल प्रशासन की ओर से अस्पताल में लगे वाटर कूलरों और फ्रीजरों आदि की मरम्मत कराने का काम शुरू किया गया है। हालांकि इनकी मरम्मत में तकरीबन एक सप्ताह का समय लग सकता है। लेकिन एक सप्ताह के अंदर ही मरीजों को अस्पताल परिसर के अंदर ही शीतल पेयजल उपलब्ध हो सकेगा।
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