देवेश प्रताप सिंह राठौर
(वरिष्ठ पत्रकार)
भ्रष्टाचारी एक ऐसा अभिशाप है जो आजादी के 70 वर्ष तक हर व्यक्ति के हर विभाग में नासूर बन कर बैठा है, रिश्वत और भ्रष्टाचारी बेईमानी से धन कमाना वह अपना अधिकार समझते हैं, यह वातावरण आजादी के70 वर्षों में बन गया आज पहले से बेहतर स्थित है भ्रष्टाचारी कम हुई है लेकिन जा नहीं सकती क्योंकि उसकी जड़े बहुत गहरी हो चुकी है , जब व्यक्ति शॉर्टकट अपनाने से धन कमाने की सोच रखता है धन अर्जित करने में लगता है में तो के हाथ से सब चला जाता है। विकारों से ग्रसित होकर गलत तरीके से, भ्रष्टाचार से, धोखे से कमाया गया धन टिकता नहीं। इससे धन तो जाता ही है, व्यक्ति भी सुखी नहीं रहता। धीरे धीरे कमाया धन अधिक समय तक टिकता है। धन अर्जन नदी की तरह होना चाहिए छोटे से स्रोत से निकलती है धीरे धीरे अपने गंतव्य तक सभी बाधाओं को पार कर विशाल समुद्र में मिल जाती है। यह संदेश दिगंबर जैन मंदिर में मुनि प्रसम सागर ने दिया।हाल ही में पंजाब जीतने के बाद नए नए मुख्यमंत्री बने भगवंत मान जी ने एक घोषणा की। उन्होंने स्पष्ट तौर पर भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के खिलाफ जंग का एलान कर दिया है और कहा है कि उनकी सरकार का खास प्रयास होगा, इस समस्या का समाधान।
टीवी पर कुछ समय पहले एक सीरियल शुरू हुआ है 'कामना'। बाकी सारे मसाले तो खैर हैं ही इसमें। कहानी एक महिला, उसके ईमानदार सरकारी नौकरी वाले पति लुप्तप्राय प्राणी उनके प्यारे से बेटे और एक बिगड़ैल विलेन (मानव गोहिल बिचारे जो अब तक हीरो के रोल किया करते थे) के इर्द-गिर्द घूमती है।
बाकी सीरियल की तरह इसमें भी और कई चीजें हैं लेकिन मनोरंजन के जरिए यह एक बहुत ही गम्भीर और असामाजिक स्थिति को भी सामने लाता है। पत्नी को कामना है ऐशोआराम वाली जिन्दगी की जिसके लिए उसे पति के रिश्वत लेने से भी गुरेज नहीं। उसे अपना ईमानदार पति बुरा महसूस होता है।
दरअसल, ये बात कहने में भले ही ड्रामेटिक लगे लेकिन बहुत ही बड़ा प्रश्न खड़ा करती है। क्या इस बारे में सोचना जरूरी नहीं कि रिश्वतखोर व्यक्ति के पीछे उसके घर के लोग भी असल दबाव हो सकते हैं?
दादी बचपन में एक किस्सा सुनाया करती थीं। उनके पिताजी नगर सेठ थे। उस जमाने में शहर या कस्बों में एक धनवान सेठ हुआ करता था जो समय पड़ने पर महाराज तक की आर्थिक जरूरत पूरी करता था। तो एक रात दादी के पिताजी को सपना आया। उनके सपने में देवी लक्ष्मी ने आकर कहा कि तुम्हारे घर में धन गड़ा है, इसे निकालो। पिताजी इसे सपना समझकर सो गए तो फिर वही देवी दादी की माँ के सपने में आईं और फिर वही बात दोहराई।
आखिर इस सपने को आधार बनाकर दादी के पिता ने अपने निर्माणाधीन मकान की नींव में गहरी खुदाई करवाई और दादी के अनुसार उसमे से इतना धन, सोना-चांदी निकला कि रात भर बैलगाड़ी पर लादकर सुरक्षित जगह पर पहुंचाया गया। फिर वचन अनुसार दादी के पिताजी ने एक भव्य मंदिर का निर्माण भी करवाया।
दादी ये भी बताती थीं कि उनके पिताजी ने जहां वो धन रखा था, उस जगह तीन लोग एक के ऊपर एक खड़े हो जाएं इतनी गहरी और चौड़ी जगह बनाई गई थी। बहरहाल बाद में तो वो धन उस समय कई समाज कार्यों में भी उपयोग में लाया गया जैसा कि उस जमाने में होता था। हम भ्रष्टाचार के विषय पर विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे। भ्रष्टाचार न केवल हमारे निजी जीवन के लिए अभिशाप है बल्कि यह राष्ट्र के विकास में भी बाधक है। भ्रष्टाचार पर आपको कभी भी किसी भी परीक्षा में पूछा जा सकता है।
केवल परीक्षा के नजरिए से ही नहीं बल्कि राष्ट्र के विकास के लिए भी आपको सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिए भ्रष्टाचार होता क्या है? इसके क्या कारण है? क्या दुष्प्रभाव हैं? और साथही-साथ भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए हम क्या-क्या प्रयास कर सकते हैं? इस बारे में सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिए ताकि आप अपने देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने में अपना योगदान दें सकें।हमारे देश में भ्रष्टाचार आज से नहीं बल्कि कई सदियों से चला आ रहा है और यह दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है, जिसके कारण हमारे देश की हालत खराब होती जा रही है। एक पद विशेष पर बैठे हुए व्यक्ति का अपने पद का दुरुपयोग करना ही भ्रष्टाचार कहलाता है। ऐसे लोग अपने पद का फायदा उठाकर कालाबाजारी, गबन, रिश्वतखोरी इत्यादि कार्यों में लिप्त रहते है,जिसके कारण हमारे देश का प्रत्येक वर्ग भ्रष्टाचार से प्रभावित होता है। इसके कारण हमारे देश की आर्थिक प्रगति को भी नुकसान पहुँचता है। भ्रष्टाचार दीमक की तरह है जो कि धीरे-धीरे हमारे देश को खोखला करता जा रहा है।आज हमारे देश में प्रत्येक सरकारी कार्यालय, गैर-सरकारी कार्यालय और राजनीति में भ्रष्टाचार कूट-कूट कर भरा हुआ है जिसके कारण आम आदमी बहुत परेशान है। इसके खिलाफ हमें जल्द ही आवाज उठाकर इसे कम करना होगा नहीं तो हमारा पूरा राष्ट्र भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएगा।भ्रष्टाचार का मतलब इसके नाम में ही छुपा है भ्रष्टाचार यानी भ्रष्ट + आचार। भ्रष्ट यानी बुरा या बिगड़ा हुआ तथा आचार का मतलब है आचरण। अर्थात भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है वह आचरण जो किसी भी प्रकार से अनैतिक और अनुचित हो।भ्रष्टाचार में मुख्य घूस यानी रिश्वत, चुनाव में धांधली, ब्लैकमेल करना, टैक्स चोरी, झूठी गवाही, झूठा मुकदमा, परीक्षा में नकल, परीक्षार्थी का गलत मूल्यांकन, हफ्ता वसूली, जबरन चंदा लेना, न्यायाधीशों द्वारा पक्षपातपूर्ण निर्णय, पैसे लेकर वोट देना, वोट के लिए पैसा और शराब आदि बांटना, पैसे लेकर रिपोर्ट छापना, अपने कार्यों को करवाने के लिए नकद राशि देना यह सब भ्रष्टाचार ही है। अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन ट्रांसपैरंसी इंटरनैशनल की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में भारत का भ्रष्टाचार में 81 वां स्थान है।भारत में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी अधिक गहरी हैं कि शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र बचा हो, जो इससे अछूता रहा है। राजनीति तो भ्रष्टाचार का पर्याय बन गयी है।भारत की आजादी के 70 वर्ष तक सिर्फ सबसे ज्यादा तेज विकास हुआ है तो वह विकास भ्रष्टाचारी में हुआ है वर्तमान सरकार भ्रष्टाचारी को दूर कर रही है लेकिन इतनी पुरानी जड़े हैं भ्रष्टाचारी की समाप्त करना संभव नहीं है,भारत में भ्रष्टाचार हर क्षेत्र में बढ़ रहा था आज 7 वर्षों में भ्रष्टाचारी कम हुई है लेकिन समाप्त नहीं हुई है जिसका कारण है भ्रष्टाचारी को एक नैतिकता का रूप बन चुका है,कालाबाजारी अर्थात जानबूझकर चीजों के दाम बढ़ाना, अपने स्वार्थ के लिए चिकित्सा जैसे क्षेत्र में भी जानबूझकर गलत ऑपरेशन करके पैसे ऐंठना, हर काम पैसे लेकर करना, किसी भी सामान को सस्ता लाकर महंगे में बेचना, चुनाव धांधली, घूस लेना, टैक्स चोरी करना, ब्लैकमेल करना, परीक्षा में नकल, परीक्षार्थी का गलत मूल्यांकन करना, हफ्ता वसूली, न्यायाधीशों द्वारा पक्षपात पूर्ण निर्णय, वोट के लिए पैसे और शराब बांटना, उच्च पद के लिए भाई-भतीजावाद, पैसे लेकर रिपोर्ट छापना, यह सब भ्रष्टाचार है और यह दिन-ब-दिन भारत के अलावा अन्य देशों में भी बढ़ रहा है और कोई क्षेत्र भ्रष्टाचार से नहीं बचा।शिक्षा विभाग भी भ्रष्टाचार से अछूता नहीं रहा है। वह तो भ्रष्टाचार का केन्द्र बनता जा रहा है। एडमिशन से लेकर समस्त प्रकार की शिक्षा प्रक्रिया तथा नौकरी पाने तक, ट्रांसफर से लेकर प्रमोशन तक परले दरजे का भ्रष्टाचार मिलता है।भ्रष्टाचार के कारण हमारे देश का आर्थिक विकास रुक सा गया है।...भ्रष्टाचार के कारण हमारा देश हर प्रकार के क्षेत्र में दूसरे देशों की तुलना में पिछड़ता जा रहा है।.... भ्रष्टाचार के कारण ही आज भी हमारे गांव तक बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएँ नहीं पहुँच पाई है।
...अधिकांश धन कुछ लोगों के पास होने पर गरीब-अमीर की खाई दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है ।
....सरकार द्वारा बनाई गई योजनाओं का लाभ भ्रष्टाचार के कारण गरीबों तक पहुँच ही नहीं पाता है।
... भ्रष्टाचार के कारण भाई भतीजा वाद को बढ़ावा मिलता है, जिसके कारण अयोग्य लोग भी ऐसे पदों पर विद्यमान रहते है।... इसके कारण किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य नहीं मिल पाता है और वे कर्ज के कारण आत्महत्या करने को मज़बूर हो जाते हैं।
भ्रष्टाचार का रोग सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं में इस तरह से फैल गया है कि आम आदमी को अपना कार्य करवाने के लिए बड़े अफसर नेताओं को घूस देनी ही पड़ती है।...भ्रष्टाचार के कारण कालाबाजारी को बढ़ावा मिलता है। कम कीमत के सामान को ऊँची कीमत में बेचा जाता है।माफिया लोगों की पहुँच बड़े नेताओं तक होने के कारण वे अवैध धंधे करते हैं, जिसके कारण जन और धन दोनों की बर्बादी होती है।समाज के विकास के लिए ज़िम्मेदार व्यक्ति ही भ्रष्टाचार में लिप्त होने लग जाता है। बड़े अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को लाभ पहुंचाते है।ऐसे अधिकारी भ्रष्ट लोगों से मिलकर बड़े-बड़े घोटाले करते है जिसके कारण पूरा सरकारी तंत्र भ्रष्ट हो जाता है।
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