पीड़ित परिवार ने आत्मदाह की दी चेतावनी
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि। गरीब की झोपड़ी जो राष्ट्रीय राजमार्ग किनारे ग्रामसमाज की जमीन पर लगभग 40 वर्षों से बना चला रहा था। उसी पर गृहस्वामी पान गुटखा आदि की दुकान कर परिवार का पेट पालता था। ग्राम के संबंधित लेखपाल ने उसके पास जाकर उसको बंजर भूमि में झोपड़ी बने होने की जानकारी देकर उससे रुपयों की मांग की। गरीबी के चलते मांग पूरी न कर पाने पर लेखपाल ने संबंधित राजस्व विभाग के उच्चाधिकारियों को दिग्भ्रमित कर बुल्डोजर ले जाकर उसका झोपड़ी वाला मकान गिरा दिया। ग्राम के दबंगों को वह जगह दिलाने के लिए प्रयासरत है।
आपबीती बताते भुक्तभोगी परिजन।
यह आरोप गरीब गृहस्वामी भोला, बृजमोहन उर्फ टोला पुत्र फुलई निवासी रामनगर थाना रैपुरा ने इस आशय का पत्र प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री सहित राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली सहित जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को भेजकर लगाया है। बताया कि उसकी झोपड़ी बंजर भूमि गाटा संख्या 1420 खा रखवा 0.2290 हे. के जुजभाग पर 40 वर्ष पूर्व से बनी चली आ रही थी। उसी पर वह परिवार सहित आवास करता है। उसके पास उक्त भूमि के अलावा अन्य कोई भूमि भी नहीं है। पीड़ित ने बताया कि इसी झोपड़ी में सब्जी, पान, गुटखा की दुकान खोल कर उसी से परिवार का जीविकोपार्जन करता रहा। पीड़ित गृहस्वामी भोला व ब्रजमोहन ने आरोप लगाते हुए कहा कि ग्राम के संबंधित लेखपाल एक माह पूर्व उसके पास आया और कहा कि झोपड़ी बंजर भूमि में बनी हुई है। यदि इसे बचाना चाहते हो तो एक लाख रुपए दो तो तुम्हें इस भूमि का पट्टा करवा दूंगा। यदि पैसा नहीं दिया तो तुम्हारी झोपड़ी गिरा दिया जाएगा और दूसरे के नाम पट्टा कर दिया जाएगा। बताया कि उपरोक्त लेखपाल को पैसा देने में असमर्थता जताई तो वह गांव के दबंगों से सांठगांठ कर बीते दिनों दिनदहाड़े राजस्व विभाग के अधिकारियों व पुलिस बल के साथ आया और झोपड़ी वाले मकान को बुलडोजर से गिराने लगे। पीड़ित ने बताया कि उसने तथा उसकी पत्नी सुशीला ने झोपड़ी गिराने से मना किया। कहा कि अगर झोपड़ी गिरा देंगे तो वह लोग कहां जाएंगे। पीड़ित व उसकी पत्नी ने संबंधित लेखपाल पर आरोप लगाया कि झोपड़ी गिराने से मना करने पर उसकी पत्नी के सिर में पत्थर मारा। जिससे वह रक्तरंजित हो गई। लेखपाल ने उसे पकड़कर घसीटते हुए झोपड़ी से दूर कर दिया। जिससे उसके पत्नी के चोटे आई हैं। पीड़ित भोला बृजमोहन ने संयुक्त रूप से बताया कि उपरोक्त लेखपाल अब उसकी झोपड़ी के स्थान पर दबंगों का मकान बनवाने की फिराक में लगा हुआ है। आरोप लगाया कि उसे अभद्र भाषा का प्रयोग कर धमकी दी गई है कि कहीं शिकायत किया तो परिवार सहित जान से मार देंगे। जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा गरीबों पर बुलडोजर चलाने से रोक लगाई गई है, लेकिन यहां तो सब उल्टा हो रहा है। गरीबों पर ही बुलडोजर चलाया जा रहा है और गुंडों को संरक्षण दिया जा रहा है। भुक्तभोगी ने भेजे गए पत्र में कहा है कि यदि उसे इंसाफ नहीं मिला तो परिवार सहित आत्मदाह करने को मजबूर हो जाएंगे। जिसकी जिम्मेवारी उसका झोपड़ी गिराने वालों की होगी। भेजे गए पत्र में पीड़ित ने मांग की है कि उपरोक्त प्रकरण की जांच कराकर दोषी पाए गए लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई कराई जाए।
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