वैशाख शुक्ल तृतीया को अक्षय तृतीया के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष अक्षय तृतीया 3 मई को है इस दिन रोहणी नक्षत्र और रवि योग ,शोभन योग और वृषभ राशि का संजोग बन रहा है।. वैशाख शुक्ल तृतीया पर करीब 50 साल बाद दो ग्रह उच्च राशि में विद्यमान रहेंगे. जबकि दो प्रमुख ग्रह स्वराशि में विराजमान होंगे. शुभ संयोग और ग्रहों की विशेष स्थिति में अक्षय तृतीया पर दान करने से पुण्य की प्राप्ति होगी. इस दिन जल से भरे कलश पर फल रखकर दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है. इस दिन अबूझ मुहूर्त में किसी भी तरह के मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं. इस मुहूर्त में कार्य करना बेहद शुभ माना जाता है. अक्षय तृतीया पर चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ तथा शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में रहेंगे. वहीं दो ग्रह अपनी स्वयं की राशि में होंगे. इसमें शनि अपनी राशि कुंभ तथा बृहस्पति स्वयं की राशि मीन में परिभ्रमण करेंगे. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चार ग्रहों का अनुकूल स्थिति में होना अपने आप में विशेष है चार ग्रहों का अनुकूल स्थिति में होना अपने आप में बहुत ही
खास है. अक्षय तृतीया पर बन रहे इस शुभ संयोग में मंगल कार्य करना बहुत ही शुभ और फलदाई होगा. अक्षय तृतीया स्वयं सिद्व मुहूर्त अबुझ मुहूर्त है। इसमें विवाह, गृह प्रवेश, नया व्यापार आदि सभी कार्य किये जा सकते है। इस दिन परशुराम जयन्ती , त्रेतायुग का प्रारम्भ इसी तिथि को हुआ था। इसे युगादि तिथि भी कहते है। इस दिन भगवान विष्णु एवं लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु के नर नारायण, हयग्रीव अवतार इसी दिन हुआ था। भगवान ब्रहमा जी के पुत्र अक्षय कुमार का जन्म भी इसी दिन हुआ था। श्री बद्रीनारायण के पट भी इसी दिन खुलते है और वृन्दावन में श्रीबिहारी जी के चरणों को दर्शन वर्ष में इसी दिन होता है।
No comments:
Post a Comment