बांदा, के एस दुबे । क्षेत्रानुकुल तकनीकियों के प्रसार के लिए प्रसार वैज्ञानिकों को समय समय पर नवीनतम जानकारी आवश्यक है। वैज्ञानिकों को फसल एवं अन्य क्रियाकलापों से संबन्धित जानकारी प्रशिक्षण के माध्यम से सुगमता से दिया जा सकता है। प्रशिक्षण के माध्यम से प्राप्त जानकारी वैज्ञानिक कृषक बन्धुओं को पहुंचाते हैं। आधुनिक कृषि एवं कृषकों के आय में बढ़ोत्तरी के लिये ऐसे प्रशिक्षणों का महत्व और भी बढ़ जाता है। बुन्देलखण्ड के सभी जिलों में स्थापित कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा क्षेत्रानुकुल तकनीकियों का प्रसार वैज्ञानिकों के माध्यम से कृषक परिवार में किया जाता है। ऐसे में वैज्ञानिकों का ज्ञानवर्धन, क्षमतावर्धन एवं तकनीकियों की बारिकी की जानकारी आवश्यक है। कृषि विवि के प्रसार निदेशालय द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों के लिए आयोजित दो दिवसीय क्षमता संवर्धन प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन के अवसर पर यह बातें निदेशक प्रसार, प्रो. एनके बाजपेयी ने कही।
प्रशिक्षण में मौजूद प्रसार वैज्ञानिक |
प्रो. बाजपेयी ने वैज्ञानिकों से यह कहा की क्षेत्रानुकुल तकनीकियों को प्रसारित करना हमारा मुख्य काम है। इस कार्य के लिये कृषकों को प्रशिक्षण, प्रायोगिक ज्ञान, एक्सपोजर विजिट एवं प्रक्षेत्र भ्रमण का चुनाव तकनीकी के आधार पर करना चाहिये। ग्रामीण महिलाओं में पोषण के प्रति जागरूकता लाने के लिये ग्रामीण महिलाओं को पोषण के महत्व को बताना आवश्यक है। कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों के प्रशिक्षण के लिए कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता, प्रो. जीएस पंवार ने प्राकृतिक संसाधन एवं जलवायु विशिष्ट प्रजातियों एवं तकनीकियों पर विशेष जानकारी दी। विश्वविद्यालय के निदेशक शोध, प्रो. एसी मिश्रा ने लघु एवं सिमान्त कृषकों के लिये आय सृजन के लिए बाजार मांग अनुसार सब्जियों की खेती एवं बीज उत्पादन पर जानकारी प्रदान की। सह निदेशक प्रसार, प्रो. आनन्द सिंह द्वारा तकनीकी प्रक्षेत्र प्रदर्शनों तथा प्रक्षेत्र विकास पर जानकारी दी गई।
विश्वविद्यालय के सस्य विज्ञान के प्राध्यापक, डा. दिनेश शाह ने वैज्ञानिकों को प्रथम पंक्ति प्रदर्शन व आन फार्म ट्रायल के माध्यम से कृषकों को विभिन्न फसलों की आधुनिक तकनीकी के बारे में विस्तार से बताया। सहायक निदेशक प्रसार, डा. पंकज कुमार ओझा ने वैज्ञानिकों को ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षण, प्रक्षेत्र भ्रमण व प्रक्षेत्र दिवस आयोजित करने के लिए किये जाने व ध्यान दिये जाने वाले प्रमुख बातों के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही कार्यक्रम का संचालन भी किया। बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के अन्तर्गत 6 कृषि विज्ञान केन्द्रों के सस्य विज्ञान, उद्यानिकी, गृह विज्ञान, पशुपालन व कृषि प्रसार विषयों के वैज्ञानिकों ने प्रशिक्षण में प्रतिभाग कर रहे हैं।
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