चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि। रामायण मेला परिसर सीतापुर में चल रही श्रीराम कथा के पांचवे दिन मानस वक्ता संत मुरलीधर जी महाराज ने अयोध्या काण्ड में वर्णित भगवान राम के वनगमन के प्रसंग के तहत कैकई चरित्र, राजा दशरथ के देव लोक गमन का मार्मिक वर्णन किया। उन्होंने बताया कि भगवान राम जब तक अयोध्या में रहे तब तक दशरथ नंदन राम कहलाए, लेकिन जब माता पिता की आज्ञा से वन गमन को गए तब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम कहलाए। भगवान राम का जीवन हर परिस्थितियों का सकारात्मक सोच के साथ मुकाबला करने की प्रेरणा देता है।
![]() |
कथा रसपान कराते संत मुरलीधर। |
रामायण का हर एक पात्र, प्रत्येक चोपाई प्रेरणादायक है। भगवान राम की जन्म भूमि अयोध्या में बन रहे मंदिर के निर्माण पर शासन को बधाई देते हुए महाराज ने कहा कि मंदिर से पहले हर व्यक्ति के हृदय में राम का होना बहुत जरूरी है। इस अवसर पर भागवताचार्य सिद्धार्थ पयासी, चंद्रकला रमेश चंद्र मनिहार, विजय महाजन, नीलम महाजन, विष्णु गोयल, डा. चंदा शर्मा, शिवकुमार कंसल, सुमेर सिंह राजपुरोहित सहित श्रोतागण मौजूद रहे।
No comments:
Post a Comment