चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि। रामायण मेला प्रेक्षागृह सीतापुर में चल रही राम कथा के सातवें दिन मानस वक्ता संत मुरलीधर महाराज ने भरत चरित्र का मार्मिक वर्णन किया। रामायण की चौपाइयां सुन श्रोता भावविभोर हो गए। प्रसंग के माध्यम से बताया कि राम कथा पोषण करती है, किसी का शोषण नहीं। भागवत निर्वाण की कथा है। यह आश्रय देती है। परमात्मा की कथा का श्रवण करें। काम, क्रोध व मोह मनुष्य के नरक का मार्ग है। जीव के लिए थोड़ा लोभ
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कथा रसपान कराते मानस वक्ता। |
जरूरी है, लेकिन अत्यंत लोभ बुरा है। महाराज ने कहा कि युवा पीढ़ी को शास्त्रों का ज्ञान होना आवश्यक है। साधुओं का सम्मान करना चाहिए। गोस्वामी जी ने लिखा है कि साधुओं की महिमा का वर्णन करने में विधाता भी सकुचाते हैं। साधु की आत्मा और कथा उस परमात्मा की आंखें हैं। ईश्वर हमें साधु की आंखों से देखते हैं। इस अवसर पर मंहत सत्यदास महाराज, भागवताचार्य सिद्धार्थ पयासी, चंद्रकला रमेश चंद्र मनिहार, विजय महाजन, नीलम महाजन, एमएस राजावत, डा. चंदा शर्मा, भीखम सिंह, उम्मेद सिंह राजपुरोहित सहित साधु, संत व श्रोतागण मौजूद रहे।
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