श्रीराम कथा का विश्राम दिवस
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि। सीतापुर स्थित रामायण मेला परिसर में चल रही श्रीराम कथा के विश्राम दिवस पर मानस वक्ता संत मुरलीधर महाराज ने सीता हरण, जटायु मुक्ति, भक्त शबरी चरित्र, अंगद रावण संवाद, लंका दहन, राक्षस संहार राम रावण युद्ध, रावण वध व भगवान राम के अयोध्या आगमन व राजतिलक का सुंदर वर्णन किया।
कथा प्रवक्ता मुरलीधर महाराज ने कहा कि बड़े भाग्य से यह मनुष्य शरीर प्राप्त होता है। मनुष्य शरीर देवताओं के लिए भी दुर्लभ माना गया है। मनुष्य शरीर की सार्थकता सत्संग व साधना करने में ही है। ऐसा विश्वास करना चाहिए कि सत्संग से सभी दुख नष्ट हो जाते हैं। यह मानव शरीर सत्संग और ध्यान करने का घर व मोक्ष का
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मानस वक्ता संत मुरलीधर महाराज। |
द्वार है। मनुष्य शरीर परमात्मा का ही अंश है और सत्संग व साधना करके इसी मनुष्य शरीर से परमात्मा पद को प्राप्त किया जा सकता है। सत्संग से संस्कार कभी खत्म नहीं होता है। सच्चे संत के दर्शन मात्र से मन का मैल समाप्त हो जाता है। संतो के उपदेश पर चलने पर ही कल्याण संभव है। स्वामी संतोष बाबा ने कहा कि संत, सतगुरु कामधेनु व कल्पतरु रूप के समान सभी मनोरथ पूर्ण करने वाले होते हैं। इस अवसर पर दंडी स्वामी संत राजेश्वरानंद सरस्वती, संत महेश्वरानंद सरस्वती, संत उमेशआनंद, संत इंद्रजीत महाराज, डा. वीके जैन, उषा जैन, अनिल शास्त्री, डॉ सुरेंद्र कुमार तिवारी, पंडित शुभम शुक्ला, भागवत आचार्य सिद्धार्थ पयासी, अशोक धींगरा, सुधीर मल्होत्रा, भागवताचार्य सिद्धार्थ पयासी, चंद्रकला रमेश चंद्र मनिहार, विजय महाजन, नीलम महाजन आदि श्रोतागण मौजूद रहे।
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