चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि। सीतापुर स्थित रामायण मेला प्रेक्षागृह में चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा के आठवें दिन मानस वक्ता संत मुरलीधर महाराज ने भरत व राम मिलाप का मनोरम वर्णन किया।
मानस वक्ता संत मुरलीधर महाराज ने प्रसंग के माध्यम से बताया कि भ्रातृत्व प्रेम किसी का है तो वह भरत जी का है। वर्तमान समय में भरत चरित्र की बहुत बड़ी प्राथमिकता है। स्वार्थ के चलते मौजूदा समय में भाई भाई जहां दुश्मन जैसा व्यवहार करते हैं वहीं त्याग, संयम, धैर्य और ईश्वर प्रेम भरत चरित्र का दूसरा उदाहरण है। भरत का विग्रह
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संत मुरलीधर महाराज। |
श्री राम की प्रेम मूर्ति के समान है। जिससे भाई के प्रति प्रेम की शिक्षा मिलती है। इस मनुष्य जीवन में भाई व ईश्वर के प्रति प्रेम नहीं है तो वह जीवन पशु के समान है। भरत और राम से भाई व ईश्वर प्रेम की सीख लेनी चाहिए। रामायण में भरत जी एक ऐसा पात्र है जिसमें स्वार्थ व परमार्थ दोनों को समान दर्जा दिया गया। इसलिए भरत जी का चरित्र अनुकरणीय है। भरत जी का एक एक प्रसंग धर्म सार है क्योंकि भरत का सिद्धांत लक्ष्य की प्राप्ति व राम के प्रेम को दर्शाता है। इस अवसर पर यज्ञवेदी मंहत सत्यदास महाराज, पूर्व सांसद भैरो प्रसाद मिश्रा, राजेश कुमार करवरिया, भागवताचार्य सिद्धार्थ पयासी, चंद्रकला रमेश चंद्र मनिहार, विजय महाजन, नीलम महाजन, अशोक ढींगरा आदि मौजूद रहे।
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