चैत्र कृष्ण अष्टमी को शीतला माता की पूजा की जाती है। इस वर्ष यह 25 मार्च को है। इस दिन बासी खाना शीतला माता को अर्पित किया जाता है और खाया जाता है इसलिए इसे बसौड़ा भी कहते हैं ये होली के आंठवे दिन पड़ता है स्कंद पुराण में माता शीतला का वर्णन है, इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से व्यक्ति को चेचक, खसरा जैसे रोगों का प्रकोप नहीं रहता। माता शीतला अपने हाथों में कलश, सूप, झाडू और नीम के पत्ते धारण किए हुए हैं। वे गर्दभ
की सवारी किए हुए हैं। इनके कलश में दाल के दानों के रूप में विषाणु या शीतल स्वास्थ्यवर्धक एवं रोगाणुनाशक जल है। एक दिन पूर्व पूड़ी, पूआ़, दाल-भात, मिठाई, तरकारी आदि बनाई जाती है। दूसरे दिन प्रातः बनाये गये पकवानों को शीतला माता को भोग लगाया जाता है एवं व्र्रत किया जाता है जिससे दाह, ज्वर, फोड़े- फुंसी, पीत-ज्वर, नेत्रों के समस्त रोग तथा शीतलजनित अन्य सर्व रोग दूर होते हैै। इस दिन कालाष्टमी व्रत भी है। अष्टमी तिथि 24 मार्च को मध्य रात्रि 12 :09 से प्रारम्भ होकर 25 मार्च को रात्रि 10 :04 तक है शीतला अष्टमी पूजा मुर्हुत प्रातः 6 :05 से सांयकाल 6ः20 तक है।
की सवारी किए हुए हैं। इनके कलश में दाल के दानों के रूप में विषाणु या शीतल स्वास्थ्यवर्धक एवं रोगाणुनाशक जल है। एक दिन पूर्व पूड़ी, पूआ़, दाल-भात, मिठाई, तरकारी आदि बनाई जाती है। दूसरे दिन प्रातः बनाये गये पकवानों को शीतला माता को भोग लगाया जाता है एवं व्र्रत किया जाता है जिससे दाह, ज्वर, फोड़े- फुंसी, पीत-ज्वर, नेत्रों के समस्त रोग तथा शीतलजनित अन्य सर्व रोग दूर होते हैै। इस दिन कालाष्टमी व्रत भी है। अष्टमी तिथि 24 मार्च को मध्य रात्रि 12 :09 से प्रारम्भ होकर 25 मार्च को रात्रि 10 :04 तक है शीतला अष्टमी पूजा मुर्हुत प्रातः 6 :05 से सांयकाल 6ः20 तक है।
- ज्योतिषाचार्य एस.एस. नागपाल स्वास्तिक ज्योतिष क्रेन्द्र , अलीगंज
No comments:
Post a Comment