देवेश प्रताप सिंह राठौर
(एडिटर)
........ भारत देश में परिवार बादी पार्टियां बहुत है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल, मुलायम सिंह की पार्टी समाजवादी पार्टी मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी यह सब परिवारवाद वाली पार्टियां हैं और देश की सबसे बड़ी परिवारवाद बाली जो पार्टी कांग्रेश में बदलाव की मांग वाली वरिष्ठ नेताओं की चिट्ठी सार्वजनिक होने के बाद अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण का गठन कर यह संदेश देने की कोशिश अवश्य की है कि वह पार्टी के पूर्णकालिक अध्यक्ष का चयन करना चाह रही हैं, लेकिन अब भी लगता यही है कि वह राहुल गांधी को ही नए सिरे से पार्टी की कमान सौंपने की तैयारी कर रही हैं। इसका संकेत एक तो इससे मिलता है कि अध्यक्ष का चुनाव होने के पहले चिट्ठी लिखने वाले नेताओं और खासकर गुलाम नबी आजाद को महासचिव पद से हटा दिया गया और दूसरे, इससे भी कि पार्टी संगठन में राहुल गांधी के करीबी नेताओं को चुन-चुनकर प्राथमिकता दी गई।नए बनाए गए महासचिवों में से
ज्यादातर वे हैं, जो राहुल गांधी के समर्थक होने के साथ ही इस तरह की मांग करते रहे हैं कि उन्हें ही फिर से अध्यक्ष बनना चाहिए। राहुल गांधी को कोई पद न देने से भी यही प्रकट होता है कि उन्हें फिर अध्यक्ष बनाने का माहौल बनाया जा रहा है। राहुल गांधी के करीबी नेताओं को महत्वपूर्ण पदों पर बैठाने से यह भी स्पष्ट है कि नए अध्यक्ष का चुनाव होने तक पार्टी में वही होगा, जो राहुल चाहेंगे। नए अध्यक्ष का चुनाव होने के पहले ही संगठन में व्यापक फेरबदल का इसके अलावा और कोई मतलब नहीं कि नवनियुक्त अध्यक्ष के पास अपने हिसाब से संगठन को खड़ा करने की सुविधा नहीं होगी। यह प्रियंका गांधी वाड्रा को पूरे उत्तर प्रदेश का महासचिव बनाने से और अच्छे से स्पष्ट हो रहा है।सोनिया गांधी अध्यक्ष पद छोड़ती हैं तो राहुल अध्यक्ष बन जाते हैं और वह प्रियंका वाड्रा को महासचिव बनाने के बाद यह कहते हुए अपने पद का परित्याग कर देते हैं कि अब परिवार के बाहर का कोई नेता पार्टी की कमान संभाले। इस राय का समर्थन प्रियंका भी करती हैं किन्हीं कारणों से सोनिया अंतरिम अध्यक्ष बनना पसंद करती हैं। अब राहुल को फिर से अध्यक्ष बनाने की बिसात बिछा दी गई। आखिर यह सब करके पार्टी को संचालित किया जा रहा है या फिर परिवार को सिर्फ राजनीति में सर्वोच्च पद पर बैठने के लिए परिवारवाद को मुख्य माना है। परिवारवाद वाली पार्टियां ही भ्रष्टाचारी को बढ़ावा देती हैं घोटालों के रूप देती है और विकास के पथ पर देश का विकास कम होता है परिवारवाद पार्टी मैं सम्मिलित सभी लोगों का के विकास की गति और तेजी से बढ़ती है।
No comments:
Post a Comment