खागा/फतेहपुर, शमशाद खान । हजरत इफहाम उल्ला शाह उर्फ फाजिल मियां की दरगाह पर आयोजित उर्स मुबारक के मौके पर दूर-दूर से आए नातगो शायरों ने कलाम पेश किए। मजार पर गुस्ल के साथ गुलपोशी हुई। इस दौरान दूर-दूर से आए अकीदतमंदों की अच्छी खासी भीड़ रही। मंच पर सज्जादा नशीन हजरत हसन हुसैन सिद्दीकी ने पगड़ी बांधकर सभी शहरों का इस्तकबाल किया। इस दौरान हजरत फाजिल मियां की शान में कलाम पेश किए।
नातिया कलाम पेश करते शायर। |
हथगाम विकास खंड के नरौली शरीफ में इस समय तीन दिवसीय उर्स का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान किए जा रहे हैं। इसी के अंतर्गत सोमवार की देर रात दूर-दूर से आए शायरों ने नातिया कलाम पेश किए। सूफी संत एवं हिंदू मुस्लिम एकता के प्रतीक हजरत इफहाम उल्लाह शाह उर्फ फाजिल मियां की शान में कलाम पेश करते हुए तश्ना ताबिश ने पढ़ा ‘‘करते हैं जो आराम नरौली शरीफ में, वो हैं मिरे इफहाम नरौली शरीफ में।’’ हजरत हाशिम हुसैन ने शायरों की हौसला अफजाई की। कमर सैयारा भदोही ने पेश किया ‘‘जब नबी के तसव्वुर में सर झुक गया, अर्शे आजम का जीना करीब आ गया, बारगाह ए इलाही से आई सदा, सर उठा अब मदीना करीब आ गया।’’ लखनऊ से आए कारी मोइनुद्दीन में पेश किया ‘‘निगाहो दिल की असीरी मेरी तलाश में है, जवां खयाल हो पीरी मेरी तलाश में है, मैं जाके जिसको फकीरों में बांट आया था, सुना है फिर वो अमीरी मेरी तलाश में है।’’ खानकाह के खादिम ए ख़ास कवि एवं शायर डॉ वारिस अंसारी ने सुनाया आपकी नालैन का ऐसा करिश्मा हो गया, जिसने भी सर पर रखा वह ताज वाला हो गया। शिवम हथगामी-सारे गमों से दूर है बंदा हुजूर का, कुछ यूं हुआ है मर्तबा अब्बा हुजूर का। शिवशरण बंधु हथगामी-कुरआन किसी कौम में महदूद नहीं है, कुरआन तो सबके लिए पैगाम-ए-खुदा है। हिंदू हूं मगर बात जो सच है वो कहूंगा, सरकार ने जीने का हुनर मुझको दिया है। इस अवसर पर नासिर अंसारी मुंबई, केके भैया चंद्रपुर, कारी मतीन, मुफ्ती वसीम मरकजी, संकेत मिश्रा चंद्रपुर, सोनी महाराष्ट्र, आजाद कानपुर, अरशद अंसारी पप्पू खान, मो. शमीम छत्तीसगढ़, मो. अफजाल, मुंशी नफीस, मो. दाऊद मौजूद रहे।
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