माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसन्त पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष बसंत पंचमी 05 फरवरी को है। पंचमी तिथि 05 फरवरी को प्रात: 03:47 से शुरू हो रही है, यह 06 फरवरी को प्रात: 03:46 तक रहेगी । शनिवार को वसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त प्रातः 06:50 से दिन में 12:20 तक श्रेष्ठ है। इस वर्ष 3 ग्रहों का योग निर्मित हो रहा है। सूर्य बुध और शनि मकर में रहेंगे। चंद्रमा मीन राशि में उत्तरभादप्रद नक्षत्र में रहेंगे, सिद्ध योग शाम 05:42 बजे तक है, फिर साध्य योग प्रारंभ हो जाएगा. ऐसे में सरस्वती पूजा सिद्ध योग में मनाई जाएगी. सरस्वती पूजा को रवि योग शाम 04:09 से अगले दिन प्रातकाल तक रहेगा .।ये पर्व ऋतुराज बसन्त के आने की सूचना देता है। बसंत ऋतु में प्रकृति का सौंदर्य मन को मोहित करता है बसंत का पीला रंग समृद्धि, ऊर्जा, प्रकाश और आशावाद का प्रतीक है। इसलिए इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनते हैं, व्यंजन बनाते हैं। अबूझ मुहूर्त होने से इस दिन विवाह, गृह प्रवेश, पद भार, विद्यारंभ, वाहन, भवन खरीदना आदि कार्य अतिशुभ हैं। बसंत पंचमी भारत के आलावा बांग्लादेश और नेपाल में बड़े उल्लास से मनाई जाती है
माँ सरस्वती को शारदा, वीणावादनी, वाग्देवी, भगवती, वागीश्वरी आदि नामों से जाना जाता है। इनका वाहन हंस है। बसंत पंचमी को देवी सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं माँ सरस्वती विद्या, गीत-संगीत, ज्ञान एवं कला की अधिश्ठात्री देवी है। इनको प्रसन्न करके इनके आर्शीवाद से विद्या, ज्ञान, कला प्राप्त किया जा सकता है। बसन्त पंचमी पर श्वेत वस्त्रावृत्ता माँ सरस्वती की प्रातः स्नान कर इनकी पूजा - अर्चना करनी चाहिए। इनके पूजन में दूध, दही, मक्खन, सफेद तिल के लड्डू, गेहँू की बाली, पीले सफेद रंग की मिठाई और पीले सफेद पुष्पों को अर्पण कर सरस्वती के मंत्रों का जाप करना चाहिए। इस दिन पीले वस्त्र पहनने चाहिए और पीले रंग की खाद्य सामग्री के अधिकाधिक सेवन की भी परम्परा है। बसन्त पंचमी के दिन किसान लोग नये अन्न में गुड़-धृत मिश्रित करके अग्नि तथा पितृ- तर्पण करते है। मान्यताओं के अनुसार, सरस्वती पूजा के दिन बच्चों की विद्या आरंभ कराने से उनका मानसिक विकास तेज होता है और उन पर माता सरस्वती की कृपा होती है. इस दिन बच्चों को अक्षर ज्ञान कराने की परंपरा है. सरस्वती पूजा के दिन आप कोई नई कला, संगीत या गायन का प्रारंभ कर सकते हैं.
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