बेसहारा 200 गोवंशी पशुओं को सर्दी और बारिश से बचाया
रखवाली में खेतों में रात बिता रहे किसानों को भी मिली राहत
बांदा, के एस दुबे । घुरौंडा के युवाओं ने अनूठी पहल कर जनपद के लिए मिसाल बन गए। उन्होंने प्रशासन की बिना मदद खुद संशाधन जुटाए और गांव के 200 बेसहारा गोवंशी पशुओं को सर्दी और बारिश से बचाने के इंतजाम किए। अब उनके भरण-पोषण को लेकर भी आपसी चंदे से व्यवस्थाकर रहे हैं। इससे जहां फसलों की रखवाली में खेतों में पूस की रात बिता रहे किसानों को बड़ी राहत मिली है। वहीं बेसहारा पशुओं को जिंदगी मिली है।
गौशाला का निर्माण करते युवा |
जनपद में प्रशासन की ओर से 265 गोशालाएं संचालित की जा रही हैं। इनमें अधिकारियों और सचिवों की लापरवाही से बेसहारा गोवंशी पशु आए दिन सर्दी और भूख से मर रहे हैं। किसान बेसहारा पशुओं से फसल बचाने के लिए पूस की रात में भी बारिश के बीच खेतों में मचान बनाकर फसलों की सुरक्षा कर रहे हैं। ऐसी ही दशा जिले की ज्यादातर ग्राम पंचायतों में है। खाने-पीने के इंतजाम न होने से गोशालाओं के पशु छुट्टा छोड़ दिए जा रहे हैं। कागजों में इनका भरण-पोषण और संरक्षण हो रहा है। वहीं महुआ ब्लाक की ग्राम पंचायत घुरौंडा में संचालित गुरुकुल विद्यालय के छात्र-छात्राओं और गांव के युवाओं ने अच्छी पहल की है। गांव के रीतेश त्रिपाठी, उदित नारायण शुक्ला, अंकित शुक्ला,संजय शुक्ला, भोला शुक्ला,छोटू वर्मा,नत्थू वर्मा सहित कई युवाओं ने गांव में ही गोशाला बनाई है। इसमें गांव में बेसहारा घूम रहे गोवंशी पशुओं को संरक्षित किया है। उनके बैठने और बारिश तथा सर्दी से बचाव के लिए पोस्टर-बैनरों को इकट्ठा कर छाया बनाई। गोशाला को चारो तरफ से घेरा। अंदर ही गोशाला में गोवंशी पशुओं के पानी, पयार और भूसा आदि की व्यस्था की है। सभी युवाओं ने भूसा, पयार और चारा को लेकर थोड़ा-थोड़ा सहयोग किया है। युवाओं की इस पहल से किसानों और बेजुबानों को बड़ी राहत मिली है। रितेश त्रिपाठी ने बताया कि युवाओं ने पहले गोशाला बनाकर पशुओं को संरक्षित करने के लिए सचिव और बीडीओ के यहां मिन्नतें की, जब कहीं सुनवाई नहीं हुई तो युवाओं ने खुद गोशाला बनाने और पशुओं के खाने-पीने और छाया के इंतजाम को लेकर संकल्प लिया।
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