चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि। भगवान श्रीराम की तपोस्थली कामतानाथ पर्वत के बगल में पेरातीर के हनुमान मंदिर बिहारा मे चल रही राम कथा के चौथे दिन कथा व्यास नवलेश दीक्षित ने महाराज दशरथ के चारों पुत्रों का नामकरण के उपरान्त वात्सल्यमयी बाल लीला, बाल्यकाल से ही भातृत्व दिग्दर्शन, मर्यादा पुरूषोत्तम प्रभु श्रीराम के अवतार की मूल अवधारणा को सार्थक करने वाले लीला का प्रधान पक्ष वनगमन की कथा सुनाई।
कथा व्यास नवलेश दीक्षित।
कथा प्रवक्ता नवलेश दीक्षित ने भरत के शोक की पराकाष्ठा का संवदेनापूरित विवेचन कर चित्रकूट की ओर भरत का प्रजा सहित प्रस्थान करने की मार्मिक व विस्तृत व्याख्या की। उन्होंने कहा कि अहंकार बुद्धि के नाश का कारण है। इसलिए महापंडित, ओजस्वी, महान विद्वान, शक्तिशाली, चक्रवर्ती राजा होकर भी नारी शक्ति का सम्मान न करने पर उनका विनाश हुआ। इसी प्रकार हर युग में जो व्यक्ति नारी का सम्मान न करें उसका भी विनाश अनिवार्य है। यही भारतीय संस्कृति है कि नारी जाति का सम्मान हो। कथा के दौरान मुख्य जजमान रमेश शुक्ला व उनकी धर्मपत्नी हीरामन, कथा के आयोजक भोलेराम शुक्ला सहित चुनकावन पांडेय, संतोष मिश्रा आदि श्रोतागण मौजूद रहे।
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