दो दिवसीय उर्स के दूसरे दिन आयोजित हुआ तरही मुशायरा
बांदा, के एस दुबे । दो दिवसीय उर्से मख़दूमे रब्बानी के दूसरे दिन गुरुवार की रात को अलीगंज स्थित रब्बानी आवास में गौहर रब्बानी की तरफ से तरही मनकबती मुशायरे का आयोजन किया गया। मुशायरे की अध्यक्षता सैय्यद खुशतर रब्बानी ने की जबकि संचालन नज़रे आलम और मीर जबलपुरी ने किया।
इस तरही मनकबती मुशायरे में बांदा के अलावा दूसरे शहरों से आये हुए शायरों ने भी अपने अपने कलाम सुनाए। मुशायरे की शुरुआत मुनव्वर अहमद ने तिलावते कुरान से की, नूर मोहम्मद ने नात पढ़ी। मनकबत की शुरुआत करते हुए रहबर रब्बानी ने शेर सुनाया, तुम्हारे फ़ैज़ ने वो औज़ बख्शा, जो कल तक ज़ेर था वो अब जबर है। सर्वर रब्बानी का शेर था, मुनव्वर हो रही है बज्मे हस्ती, कोई तो मेरे दिल में जलवागर है। डाक्टर खालिद इज़हार बांदवी
मुशायरे में कलाम सुनाते शायर |
ने कलाम पढा, हवा भी बाअदब इस दर पे आये, ये दर मख़दूमे रब्बानी का दर है। शरीफ बांदवी ने पढ़ा, बलाओं से मेरा महफूज़ घर है, दुआओं में तेरी इतना असर है। डाक्टर शरीफ (फिजियो) ने कलाम सुनाया तेरी दीवानगी है सब पे गालिब, तेरे जलवों की तालिब हर नज़र है। मीर जबलपुरी ने पढ़ा, ज़माने में नहीं जिनका मुमासिल, एक ऐसे पीर लासानी का घर है। आमिर मसूदी ने कलाम सुनाया, आपके नाम का उड़ता है फरहरा हर सू, चौदह सदियों से लगातार हुसैन इब्ने अली। गौहर रब्बानी ने शेर सुनाया वो जिसकी सादगी भी थी मिसाली, अब उसके उर्स में क्या कर्राफर है। मुशायरे का संचालन कर रहे नज़रे आलम ने पढ़ा, मेरा किस्सा बहुत ही मुख्तसर है, दरे मख़दूम है और मेरा सर है। मुशायरे की अध्यक्षता कर रहे सैय्यद खुशतर रब्बानी ने कलाम सुनाया, ये जानो दिल हैं ये आंखे ये सर है, मेरा सब कुछ निछावर आप पर है। इसके बाद सामूहिक सलातो सलाम पढा गया और मुल्क में अमनोअमान और कोरोना से निजात की दुआ मांगी गई। मुशायरे में मास्टर नवाब अहमद असर, आशीष कुमार, अकबर रब्बानी, गुफरान रब्बानी, मसूद रब्बानी, अब्बास अली, मुतहर फर्रुखाबादी, आदिल मसूदी, असगर रब्बानी, जाहिद रब्बानी, ताहिर मसूदी, अशअर रब्बानी आदि ने भी अपने अपने कलाम सुनाए।
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