कुलाधिपति राज्यपाल बोलीं : कृषि प्रणाली अर्थव्यवस्था की रीढ़
कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया सप्तम दीक्षांत समारोह
बांदा, के एस दुबे । बांदा कृषि विश्वविद्यालय में शनिवार को सप्तम दीक्षांत समारोह को वर्चुवल माध्यम से संबोधित करते हुए कुलाधिपति राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि कृषि विज्ञान हमारी कृषि प्रणाली व अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। राज्यपाल ने कहा कि कृषि उत्पादकता व कृषकों की औसत आय वृद्धि, सिंचाई तकनीकियों के विकास व पघुधन विकास की अपार संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी। ताकि बुंदेलखण्ड क्षेत्र कृषि में बहुआयामी विकास हो सके। दीक्षांत समारोह में 182 छात्र-छात्राएं मैडल और उपाधि से विभूषित किए गए।
दीक्षांत समारोह को संबोधित करते मुख्य अतिथि |
दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि उप महानिदेशक कृषि शिक्षा, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली आरसी अग्रवाल रहे। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन की नई चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हों। साथ ही अर्जित शिक्षा का समाजोपयोगी उद्देश्य क्या हो सकता है, यह विचार करें। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय से अर्जित ज्ञान एवं कौशल से देश के सीमांत एवं
मध्यम वर्गीय किसानों को खेती के उन्नत विधियों द्वारा जीवन स्तर को सुधारने के लिए मार्ग दर्शन करेंगे। राज्यपाल ने कहा कि कृषि विान हमारी कृषि प्रणाली व अर्थ व्यवस्था की रीढ़ है। भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि के योगदान को और अधिक प्रभावी किस तरह से बनाया जाए, इस विषय पर सभी नौजवानों को सोंचना होगा। राज्यपाल ने कहा
समारोह में मौजूद अतिथिगण व अन्य |
कि जो किसान काम करते हैं, वही वैज्ञानिक हैं। उनके अनुभव आधारित ज्ञान का लाभ कृषि विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को उनके पास जाकर लेना चाहिए। कहा कि बहुत से किसान ऐसे हैं, जिन्होंने अपने अनुभ्ज्ञव, परंपरा के ज्ञान से ऐसे उन्नतबीज तैयार किए हैं, जिनसे बेहतरीन फसलें मिल सकती हैं। कहा कि विद्यार्थी जीवन से ही स्वराजकार के गुर सिखाए जाने की व्यवस्था स्टार्टअप नीति से की गई है। विश्वविद्यालय में नवाचार और उद्यमिता विकास के पाठ्यक्रम शामिल किए जाने की आवश्यकता है। राज्यपाल ने विवि के कुलपति की सराहना की। कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा किसानों, ग्रामीण युवकों एवं महिलाओं को विभिन्न जानकारियां जैसे कृषि के क्षेत्र में रोजगार के अवसर, कृषि उद्यमी एवं उद्यमिता विकास, बकरीपालन, मधुमक्खी पालन, मशरूम व्यवसाय, औद्योगिक एकीकृत कृषि प्रणाली, कौशल विकास अधारित प्रशिक्षण, एवं प्रदर्शन के माध्यम से दी जाती हैं। कृषि तकनीकी के क्षैतिज प्रसार के लिए कृषि विज्ञान केंद्रों में संचालित गतिविधियों के अतिरिक्त सफल किसानों के माध्यम से भी तकनीकी हस्तान्तरण का कार्य किया जाता है।विश्वविद्यालय व इसके अन्तर्गत संचालित सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा बुन्देलखण्ड जलवायु के अनुरूप सीमान्त व लघु कृषकों के लिये उपयुक्त एकीकृत फसल प्रणाली माडल तैयार किये गये हैं, जिनको कृषकों को अपनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
मैडल और उपाधि से विभूषित छात्र-छात्राएं |
मुख्य अतिथि आरसी अग्रवाल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुपालन में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के द्वारा कमेटी का गठन किया गया, जो नई शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यक्रमों में आवश्यक बदलाव एवं विषय विविधता पर कार्य कर रही है। हालांकि सभी विश्वविद्यालय अपने स्तर पर एवं राष्ट्रीय स्तर पर भी विश्वविद्यालयों में ग्रास एनरोलमेंट बढ़ाना, प्रथम वर्ष के बाद यदि छात्र पढ़ाई छोड़ते हैं तो उनको सर्टिफिकेट डिप्लोमा प्रदान करने का प्राविधान किया जा रहा है। पाठ्यक्रम में कौशल विकास के लिए मल्टी एन्ट्री क्रेडिट बैंक और कृषि विश्वविद्यालयों को बहुविषयक बनाने के लिए नीति निर्धारित किया जा रहा है।
इस सप्तम दीक्षांत समारोह मे विभिन्न महाविद्यालयो के कुल 182 छात्र छात्राओ को मेडल व उपाधी से नवाजा गया। इसमे कुल मेरिट प्रमाण पत्र प्राप्त करने वालो की संख्या 34 है। इस दीक्षांत समारोह मे नीलेन्द्र त्रिपाठी बीएससी आनर्स कृषि को उनके शिक्षा, खेल एवंकल्चरल एक्टीविटी के लिये कुलाधिपति स्वर्ण पदक एवं कुलपति कांस्य पदक से नवाजा गया। इसीक्रम मे सोहम कटियार बीएससी आनर्स कृषि अरविन्द यादव बीएससी आनर्स उद्यान, शितांशु गुप्ता बीएससी आनर्स वानिकी, मंथन चौधरी एमएससी कृषि शास्य विज्ञान एवं बृजेश कुमार मौर्या एमएससी उद्यान सब्जी विज्ञान को कुलपति स्वर्ण पदक, अब्दुल हमीद बीएससी आनर्स कृषि, वीरेश कुमार बीएससी आनर्स उद्यान, आयुषी सिंह बीएससी आनर्स वानिकी, कार्तिकेय सिंह एमएससी कृषि कीट विज्ञान, अजय कुमार एमएससी उद्यान फल विज्ञान को कुलपति रजत पदक तथा अभिषेक सिंह बीएससी आनर्स वानिकी प्रिन्स साहू एमएससी कृषि कीट विज्ञान इमामुद्दीन शाह को कुलपति कांस्य पदक से नवाजा गया।
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