शाकाहार-सदाचार मद्यनिषेध आध्यात्मिक जनजागरण यात्रा पहुंची चुरियानी
श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर यात्रा का किया स्वागत
फतेहपुर, शमशाद खान । जयगुरूदेव धर्म प्रचारक संस्था के बैनर तले निकल रही शाकाहार-सदाचार मद्यनिषेध आध्यात्मिक जनजागरण यात्रा गाजीपुर बहुआ रोड स्थित चुरियानी सामियाना पहुंची। जहां श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा करते हुए प्रार्थना, दीप प्रज्जवलित कर कलश से भव्य स्वागत किया। सत्संग में संस्था के पंकज महाराज ने कहा कि चौरासी लाख योनियों में मानव सर्वश्रेष्ठ है। क्योंकि इसमें परमात्मा के पास जाने का एक दरवाजा है।
पंकज महाराज का माला पहनाकर स्वागत करते श्रद्धालु। |
पंकज महाराज ने उपस्थित जनसमूह का आहवान किया कि अपने दीन-ईमान पर वापस आ जाओ और इंसानी जिस्म में बैठकर उस खुदा की इबादत करो। मनुष्य मंदिर में भगवान का भजन करो ताकि आपकी आत्मा दोजख, नर्क में जाने से बच जाये। उन्होने कहा कि कलयुग की इस सरल साधना के गहरे भेद को परत दर परत खोल कर गुरु महाराज बाबा जयगुरुदेव ने बीस करोड़ लोगों को प्रभु प्राप्ति की। इस साधना में लगा दिया और एक अच्छे समाज के निर्माण का अभियान जारी किया। इसको बढ़ाने के लिए संस्था निरंतर लगी हुई है। महाराज ने कहा कि मनुष्य शरीर असली हरि मन्दिर है। इसमें उपरी मंडलों से आ रही देववाणियों, अनहद वाणियां, कलमा उतर रही हैं। जब आपको पहुंचे हुये संत सतगुरु मिल जायेंगे और सुमिरन ध्यान भजन का रास्ता बता देंगे तो आप धन्य हो जायेंगे। उन्होने अपील किया कि शाकाहारी हो जाएं, शराब जैसे बुद्धिनाशक नशों का त्याग करें और अपनी आंखों में मां बहन बेटी की पहचान लाएं। बिना चरित्र उत्थान के न तो भजन हो सकता है और न जीवन सुखी हो सकता है। उन्होंने गृहस्थ आश्रम में रहकर कलयुग की सरल साधना नाम-योग का सरल तरीका भी बताया और साधना का तरीका समझाया। उन्होने जयगुरुदेव आश्रम मथुरा में आगामी 18 से 20 मार्च तक आयोजित होने वाले सत्संग में पधारने का निमंत्रण दिया। सत्संग के बाद जनजागरण यात्रा अपने अगले पड़ाव काजू की बाग, काजू निकट मूरतगंज जिला कौशाम्बी के लिए प्रस्थान कर गई। इस अवसर पर अध्यक्ष रामनारायण वर्मा, रमेश कछवाह, राबरन सिंह, राजू सिंह, जयपाल, भवानीदीन, अतर सिंह, मुन्ना सिंह गौतम, रामपाल गुप्ता, धीरेन्द्र सिंह गौतम, बाबूराम यादव, संतराम चौधरी, मृत्युन्जय झा, विजय पाल सिंह, बीबी दोहरे, सतीश उपाध्याय, नानक, अखिलेश यादव मौजूद रहे।
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