हिन्दू धर्म की रक्षा-सुरक्षा का दिलाया संकल्प
मंच से सत्ताधारियों को अहंकार छोड़ सेवा भाव से कार्य करने की दे गए नसीहत
महाकुंभ में हिन्दू एकता का दिखा भव्य नजारा
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि। प्रभु श्रीराम की वनवास स्थली में आरएसएस के प्रमुख डा. मोहन भागवत ने हिंदुओं को संगठित होकर कार्य करने का संकल्प दिलाया। धर्मातंरण पर कहा कि धर्म छोड़ चुके हिन्दुओ की घर वापसी का काम करना है। भारतीय संस्कृति के अनुरूप शिक्षा देने सहित बिना अहंकार व निस्वार्थ देश के लिए कार्य करने की प्रतिज्ञा कराई है।
संबोधित करते संघ प्रमुख
बुधवार को धर्मनगरी के बेडीपुलिया के समीप आयोजित हिंदू एकता महाकुंभ में राष्ट्रीय स्वयं संघ के प्रमुख डा. मोहन भागवत ने कहा कि धर्म का आचरण करते हुए संगठित होकर निस्वार्थ भाव व बिना अहंकार के कोई भी कठिन कार्य करने से सफलता मिल जाती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि स्वर्ग तक पहुंचने के लिए देवता व राक्षस सीढियां बना रहे थे। जिसमें देवता धर्म का आचरण करते हुए निस्वार्थ रूप से कार्य करते रहे हैं। जिससे उनको सफलता मिल गई। जबकि राक्षस अहंकार व स्वार्थवस कार्य करते रहे। जिससे उनको सफलता नहीं मिल सकी। लगभग 20 मिनट के संबोधन में उन्होंने रामायण के दोहे भी सुनाए और बिना किसी राजनैतिक दल का नाम लिए वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य को जोडकर तंज कसे। सत्ताधारियों को नसीहत दी कि राज्य में सत्ता पाने के लिए अहंकार नहीं जनता के बीच में जाकर काम करने की जरूरत है। जिस तरह भारत रत्न नानाजी देशमुख ने अपने नहीं अपनों के लिए काम किया। उसी तरह हिंदू वर्ग, जाति, भाषा व पंथ को मिलाकर सशक्त व समरस करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि मजबूरन किसी को संगठित नहीं कर सकते हैं। पवित्र हिंदू धर्म की रक्षा सुरक्षा व सम्मान का संकल्प लेकर हिंदू महिलाओं की रक्षा करनी होगी। प्रमुख संतों ने पर्यावरण, जल के शुद्धिकरण, वायु प्रदूषण, भारतीय संस्कृति
मंचासीन संत समाज। |
को लेकर अपने अपने अपने विचार रखे। इसलिए जाति पथ से ऊपर उठकर हिंदू समाज के लिए पूरी शक्ति के साथ कार्य करें। हिंदू समाज से अलग हो गये हिन्दुओं को वापस हिंदू समाज से जोडने का कार्य करें। कार्यक्रम के आयोजक व अध्यक्षता कर रहे जगद्गुरू रामभद्राचार्य ने महिलाओं की सुरक्षा, धर्म के साथ कार्य करने सहित हिंदू समाज के लोगों को संगठित करने के लिए आजीवन कार्य करने के लिए कहा। कार्यक्रम में आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक संत श्रीश्री रविशंकर बंगलूरू कर्नाटक, स्वामी चिदानंद सरस्वती परामार्थ आश्रम ऋषिकेश, साध्वी ऋतम्भरा वात्सल्य ग्राम वृन्दावन, कथावाचिका चित्रलेखा, आचार्य रामचंद्र दास, दिव्य जीवन दास, रामहृदय दास, डा. रामनारायण त्रिपाठी, नवलेश दीक्षित, बृजेंद्र शास्त्री सहित कई अन्य संत मौजूद रहे।
जगदगुरु ने हिन्दू एकता का किया शंखनांद
-धर्म जगत के दिग्गजो ने 12 बिन्दुओं पर किया मंथन
-संत श्रीश्री रविशंकर बोले-जो ईश्वर को नहीं मानता उनकी देशभक्ति पर बड़ा सवाल
चित्रकूट। हिन्दू एकता महाकुंभ मे सतो ने एक सुर में एकता का संदेश दिया। तुलसी पीठाधीश्वर पदमविभूषित जगदगुरु स्वामी रामभद्राचार्य की पहल पर आयोजित महाकुंभ में हिंदू एक हों की गूंज सुनाई दी। हिंदू एकता के मंच पर देश के प्रमुख हिस्सों से आए संतों की भीड़ दिखी। मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ जगदगुरु ने शंखनांद और वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया है। मंच पर मौजूद संत समाज और राजनीति से जुड़ी तमाम हस्तियो ने हिंदू एकता पर बल देते हुए वंदे मातरम गान किया। प्रभु श्री राम की वनवास स्थली पावन तपोभूमि चित्रकूट में हिंदू एकता महाकुंभ की औपचारिक
शुरुआत तो मंगलवार को कलश यात्रा के साथ हो गई थी लेकिन बुधवार को कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, संत श्रीश्री रविशंकर महाराज, महामण्डलेश्वर ज्ञानानंद महाराज, गीता मनीषी, धर्म जगत के दिग्गज संत व भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के प्रतिनिधि केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे समेत संत समाज के लोग मंच पर मौजूद रहे। इस मौके पर सत श्री श्री रविशंकर ने कहा कि जब अन्य लोग एकत्र होते है तो दहशत होती है जबकि हिन्दु एक होता है तो देश हित के कार्य होते है, जो ईश्वर को नहीं मानते उनकी देशभक्ति पर बहुत बड़ा सवाल है। कहा कि 12 बिन्दुओ पर जो मंथन हो रहा है वह सराहनीय है। महंत वासुदेवानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि हिन्दुओ को बिखरना नहीं चाहिए। संत समाज की ओर से माध्यमिक शिक्षा में सस्कृति को अनिवार्य करने की माग की है। पंजाब के महंत ज्ञानवीर सिंह ने कहा कि हिमालय पर्वत से लेकर कन्याकुमारी तक हिन्दुस्तान के हिन्दू एक है।
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