गौसेवकों और जनता की जुबान पर बस यही बात
नरैनी, के एस दुबे । गायो के गुनहगारों को कब सजा मिलेगी। हर नगरवासी और गौ सेवको की जुबान पर यह सवाल है। बर्बरता की सारी हदें पार करने वाले किसके आदेश पर यह कृत्य कर रहे थे। प्रशासन द्वारा गायों को नगर पंचायत की गौशाला से अन्य गौशालाओं में स्थानांतरित करने के बहाने पहाड़ी खेरा के जंगलों में बर्बरतापूर्ण ढंग से फेंकने की प्रशासन गुत्थी नहीं सुलझा पा रहा। कई महत्वपूर्ण सवालों की जांच पूरी नही हो पा रही। विगत 4 दिसम्बर की शाम कस्बे की लगभग 300 गायों को नगर पंचायत की अस्थाई गौशाला में इकट्ठा कर एआरटीओ द्वारा 7 ट्रकों को पकड़कर नगर पंचायत के अधिशाषी अधिकारी, उप जिलाधिकारी आदि अधिकारियों की उपस्थिति में जबरन लादकर सीमावर्ती मध्य प्रदेश के पहाड़ीखेरा के जंगलों में फेंका गया था। ट्रकों में आवश्यकता से ज्यादा मात्रा में
जबरन ठूंस-ठूंस कर निर्दयतापूर्वक गायों को भरकर ले जाया गया था, जिससे आपस में टकराकर व अन्य किसी कारण से कुछ गोवंश या तो मर गईं थीं अथवा घायल होकर अचेत हो गईं थीं। जिन्हें उसी स्थिति में दफना दिया गया था। जिलाधिकारी द्वारा गठित जांच टीम ने न तो गायों को लादकर ले जाने वाले ट्रकों की पड़ताल की है और न ही गायों की स्पष्ट संख्या का पता लगा पाई। आम जनमानस में चर्चा है कि गायों को किसने दफनाया, ट्रकों को डीजल आदि की व्यवस्था किसने की या जंगल मे छोड़ने वाले कौन-कौन लोग थे। आखिर ऐसा कौन है जिसे प्रशासन अपनी जांच में बचाना चाह रहा है। नगर पंचायत के अध्यक्ष सहित सभी सभासदों का कहना है कि हमें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। यहां तक कि पिछली बोर्ड बैठक में भी गायों के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई थी।
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