बबेरू, के एस दुबे । सिमौनीधाम भंडारे में दूसरे दिन गुरुवार को हरिश्चंद्र नाटक का मंचन किया गया। रात्रि में रामलीला मुनि आगमन ताड़का वध एवं फुलवारी लीला का मंचन किया जाएगा। शिवानी धाम के रंगमंच में हरिश्चंद्र नाटक का मंचन किया गया। जिसमें नारद ने वशिष्ठ हुआ विश्वामित्र को आपस में यह कहकर लड़वा दिया कि तुम्हारा शिस्य हरिश्चंद्र सत्यवादी नहीं है। विश्वामित्र हरिश्चंद्र की परीक्षा लेने के लिए पहुंचते हैं और राजा हरिश्चंद्र से सिर्फ तीन भार सोना की मांग करते हैं परंतु राजा हरिश्चंद्र मुनि को तीन भार सोना नहीं दे पाते। विश्वामित्र अपने
रामलीला मंचन करते कलाकार |
शिष्य सतरा को राजा हरिश्चंद्र के पीछे लगा देते हैं। इस तरह से पूरा राजपाल ले लेते हैं, तब भी तीन बार को न पूरा नहीं होता तो नक्षत्र हरिश्चंद्र को ले जाकर बनारस में काल हो जो हमसे हाथ से पीले तथा उनकी पत्नी तारा को एक कामगार को भेज देते हैं। कुछ दिन बाद तारा के पुत्र रोहित को सिर रख लेता है तारा रोहित को लेकर श्मशान घाट पहुंची है। वहां राजा हरिश्चंद्र से पत्नी तारा की मुलाकात होती है। पत्नी तारा बिलखती हुई रोहित के बारे में बताती है कि पुत्र का अंतिम संस्कार करना है, तभी राजा ने कर की मांग की है। कहा कि अंतिम संस्कार नहीं करने दूंगा।
रामलीला मंचन देखते श्रद्धालु |
तब रानी तारा ने साड़ी को फाड़ कर के रूप में दिया। तब जाकर अंतिम संस्कार करने की इजाजत मिली। तभी विश्वामित्र प्रकट हो जाते हैं और चंद्र को सत्यवादी करार दिया। कहा कि तुम जैसा सत्यवादी राजा न कभी पैदा हुआ है और न कभी पैदा होगा। तभी से बनारस में गंगा घाट पर उस घाट का नाम हरिश्चंद्र घाट हो गया। हरिश्चंद्र का अभिनय शंकर दत, नारद सत्यम शर्मा, विश्वामित्र जयनारायण, वशिष्ठ अमरजीत, तारा फूल सिंह, रोहित नारायण, नाल वादक चंदन तबला वादक अनिल सिंह नृत्य में बिट्टू रानी इलाहाबाद श्रंगार राजन मिश्रा बांदा द्वारा अभिनय किया गया।
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