नए कुलपति ने किसी राष्ट्रीय संस्थान के साथ किया पहला समझौता
बांदा, के एस दुबे । कृषि एवं प्रौद्योगिक विवि के अर्न्तगत संचालित वानिकी महाविद्यालय के तत्वाधान में शुक्रवार को कुलपति सभागार कक्ष में उष्ण कटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान, जबलपुर और बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विवि के बीच में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये हैं।कृषि विश्वविद्यालय की तरफसे कुलपति प्रो. नरेन्द्र प्रताप सिंह तथा उष्ण कटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान, जबलपुर के निदेशक डा. जीआर राव ने समझौते पर हस्ताक्षर कर द्विपक्षीय दस्तावेज एक दूसरे को सौपें। यह समझौता बुन्देलखण्ड के जलवायु में वानिकी के महत्व को देखते हुए एक सराहनीय कदम है। कुलपति के कार्यभार ग्रहण करने के पश्चात यह पहला समझौता किसी राष्ट्रीय संस्थान के साथ हुआ है।
बैठक को संबोधित करते कुलपति व मौजूद लोग |
विश्वविद्यालय के कुलपति श्री सिंह ने बताया कि इस समझौते के माध्यम से हम वानिकी महाविद्यालय के अर्न्तगत संचालित विभिन्न विभागों के साथ-साथ अध्ययनरत छात्रों के अध्ययन, शोध कार्य, संगोष्ठी, कार्यशाला, प्रशिक्षण, साझा शोध परियोजनाएं व क्षमता वर्धन कार्यक्रम के क्षेत्र में विभिन्न अवसर प्राप्त होंगें। बुन्देलखण्ड के पर्यावरण को देखते हुए वानिकी महत्व के विभिन्न पेड़-पौधों के विकास एवं व्यवसायिक प्रतिष्ठान विकसित कर कृषकों एवं युवाओं को रोजगार सृजन में आसानी होगी। समझौते के अनुसार यहां के शोधार्थी छात्र शोध के लिए संस्थान में शोध कार्य कर सकते हैं।
उष्ण कटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान जबलपुर के निदेशक डा. जीआर राव ने इस समझौते को एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने बताया कि यह विश्वविद्यालय शिक्षा एवं शोध के क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाई है। आने वाले समय में यह दोनों संस्थान मिलकर वानिकी के क्षेत्र में बुन्देलखण्ड में कृषकोपयोगी तकनीकियां विकसित कर कृषकों की आय में बढ़ोत्तरी करने का प्रयास करेंगी। वानिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. संजीव कुमार ने इस समझौते के लिये महत्वपूर्ण भूमिका निभायी हैं। डा. संजीव कुमार ने बताया कि यह समझौता महाविद्यालय के शिक्षा, शोध, व प्रसार गतिविधियों में तेजी लाएगा। शोधार्थी छात्रों के लिये शोध के लिये नये आयाम विकसित होंगे, जिसका फायदा इस क्षेत्र के कृषकों को वानिकी के क्षेत्र में नई तकनीकी के रूप में मिलेंगी। उष्ण कटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान जबलपुर के परिस्थिति की एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के विभागाध्यक्ष डा. अविनाश जैन ने इस समझौतें को क्षेत्र के लिये आवश्यक और जरूरी कदम बताया। समझौता ज्ञापन के दौरान विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार डा. एनके बाजपेयी, अधिष्ठाता उद्यान, डा. एसवी द्विवेदी, अधिष्ठाता कृषि, डा. जीएस पंवार एवं वित्त नियंत्रक डा. अजीत सिंह उपस्थिति रहे।
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