राज्यसभा के उपसभापति व मुख्य न्यायाधीश के विरूद्ध कार्रवाई की मांग
फतेहपुर, शमशाद खान । जम्मू कश्मीर के मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्तल ने संविधान की प्रस्तावना से पंथनिरपेक्ष शब्द हटा देने की वकालत करने के मामले को लेकर कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के पदाधिकारियों ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया तत्पश्चात राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर राज्यसभा के उपसभापति व मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की।
कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश सचिव मिस्बाहुल हक की अगुवाई में कांग्रेसी कलेक्ट्रेट आए और प्रदर्शन करने के पश्चात राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन उप जिलाधिकारी को सौंपकर बताया कि राज्यसभा में पिछले
एसडीएम को ज्ञापन सौंपते कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के पदाधिकारी। |
दिनों तीन दिसंबर को भाजपा के राज्यसभा सदस्य केजे अल्फोस ने प्राइवेट मेंबर बिल के जरिए संविधान की प्रस्तावना में बदलाव कर उसमें से पंथनिरपेक्ष शब्द हटाने की मांग की थी। पहले भी पिछले साल बीस जून को भाजपा के ही राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा ने भी संविधान की प्रस्तावना से समाजवाद शब्द हटाने की मांग उठाई थी। ज्ञापन में कहा गया कि केशवनानन्द भारती व एसआर बोम्मई समेत कई मामलों में सर्वोच्च न्यायालय का स्पष्ट निर्देश है कि संविधान की प्रस्तावना में संसद भी कोई बदलाव नहीं कर सकती। इसके बावजूद राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने संविधान विरोधी आचरण दिखाते हुए इस बिल को रिजर्व रख लिया जबकि उसे तत्काल खारिज कर देना चाहिए था। ज्ञापन में यह भी कहा गया कि जम्मू कश्मीर के मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्तल ने भी आठ दिसंबर को संविधान की प्रस्तावना से पंथनिरपेक्ष शब्द हटाने की वकालत की थी। कांग्रेसियों ने राष्ट्रपति से मांग किया कि संविधान के संरक्षक होने के नाते संविधान की प्रस्तावना की रक्षा के लिए आवश्यक हस्तक्षेप कर ऐसे किसी भी प्रयास को विफल करते हुए राज्यसभा के उपसभापति व जम्मू कश्मीर के मुख्य न्यायाधीश के विरूद्ध आवश्यक कार्रवाई की जाए। इस मौके पर चंद्र प्रकाश लोधी उर्फ चंदन बाबू एडवोकेट, मनीष पटेल, एमआर सिद्दीकी भी मौजूद रहे।
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