लंगर में सिक्ख समुदाय के लोगों ने चखा प्रसाद
फतेहपुर, शमशाद खान । शहर के रेल बाजार स्थित गुरूद्वारे में बुधवार को सिखों के नवें गुरू गुरू तेग बहादुर जी की पुण्यतिथि को शहीदी दिवस के रूप में मनाया गया। गुरूद्वारे में पाठ का आयोजन हुआ। जिसमें बड़ी संख्या में महिला एवं पुरूषों ने हिस्सा लिया। तत्पश्चात परिसर में ही लंगर कराया गया जिसमें सिक्ख समुदाय के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लेकर प्रसाद ग्रहण किया।
गुरूद्वारे के ज्ञानी ने बताया कि गुरु तेग बहादुर 24 नवंबर 1675 को शहीद हुए थे। नानकशाही कलेंडर के अनुसार इस वर्ष आठ दिसंबर को शहीदी दिवस मनाया गया। गुरु तेग बहादुर की मुगल बादशाह औरंगजेब से अदावत की शुरुआत कश्मीरी पंडितों को लेकर हुई। कश्मीरी पंडित मुगल शासन द्वारा जबरदस्ती मुसलमान बनाए जाने का विरोध कर रहे थे।
गुरूद्वारे में लंगर का चखते सिक्ख समुदाय के लोग। |
उन्होंने गुरु तेग बहादुर जी से अपनी रक्षा की गुहार की। गुरु तेग बहादुर ने उन्हें अपनी निगहबानी में ले लिया। मुगल बादशाह औरंगजेब इससे बहुत नाराज हुआ। जुलाई 1675 में गुरु तेग बहादुर अपने तीन अन्य शिष्यों के साथ आनंदपुर साहब से दिल्ली के लिए रवाना हुए थे। इतिहासकारों के अनुसार गुरु तेग बहादुर को मुगल फौज ने जुलाई 1675 में गिरफ्तार कर लिया था। उन्हें करीब तीन-चार महीने तक दूसरी जगहों पर कैद रखने के बाद पिंजड़े में बंद करके दिल्ली लाया गया जो कि मुगल सलतनत की राजधानी थी। औरंगजेब चाहता था कि सिख गुरु इस्लाम स्वीकार कर लें लेकिन गुरु तेग बहादुर जी ने इससे इनकार कर दिया था। गुरु तेग बहादुर जी के त्याग और बलिदान के लिए उन्हें “हिंद दी चादर” कहा जाता है। मुगल बादशाह ने जिस जगह पर गुरु तेग बहादुर का सिर कटवाया था दिल्ली में उसी जगह पर आज शीशगंज गुरुद्वारा स्थित है। कार्यक्रम की अगुवाई प्रधान पपिंदर सिंह ने की। इस मौके पर लाभ सिंह, जतिंदर पाल सिंह, नरिंदर सिंह रिक्की, सरनपल सिंह, सतपाल सिंह, गोविंद सिंह, वरिंदर सिंह पवि, संत सिंह, गुरमीत सिंह, रिंकू सिंह, सोनी, बंटी के अलावा महिलाओं में हरजीत कौर, हरविंदर कौर, मंजीत कौर, जसवीर कौर, गुरप्रीत कौर, हरमीत कौर, प्रभजीत कौर, ज्योति मालिक, गुरशरण कौर, ईशर कौर, रीता, इंदरजीत कौर, जसप्रीत कौर, तरनजीत कौर, नीना, खुशी, वीर सिंह भी उपस्थित रहीं।
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