बार एसोसिएशन संघ से सदस्यता खत्म करने पर दायर किया वाद
बैठक में मानवाधिकारों के हनन पर हुई चर्चा
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि। मानवाधिकारों के हनन की चर्चायें चलती रहती हैं। जिसमें कमजोर तपका प्रभावित होता है, लेकिन जब विधि की जानकारी रखने वाले विद्वान अधिवक्ताओं के अधिकारों का हनन होता है और हननकर्ता विद्वान अधिवक्ता ही होते हैं तब यह महत्वपूर्ण विषय बन जाता है। इससे एक बात समाज के सामने आ रही है कि मानवाधिकारों के हनन का दायरा शिक्षित वर्गों तक पहुँच रहा है।
ह्युमन राइट्स के जिला संयोजक कांमरेड रुद्र प्रसाद मिश्रा एड. ने नेटवर्क की साप्ताहिक बैठक में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं व मानवाधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुये कहा कि मानवाधिकारों के हनन की घटनायें बढ़ रही हैं। इसलिये प्रत्येक अधिवक्ता और मानवाधिकार कार्यकताओं का
पीड़ित अधिवक्ता देते जानकारी। |
दायित्व और महत्व बढ़ता जा रहा है। उन्हे मानवाधिकारों को संरक्षण करने के लिये सड़क से संसद ही लड़ाई सीमित नहीं रखना पड़ेगा। बल्कि यह लड़ाई न्यायालय के माध्यम से भी लड़ी जाएंगी। उन्होने तात्कालिक घटना का उदाहरण देते हुये कहा कि देश का प्रत्येक नागरिक जहाँ जिस संस्था और संगठन से जुड़ा हुआ है। उसके निर्वाचन में व्यक्ति को वोट देने का अधिकार हासिल है। श्री मिश्र आगे बताया कि प्रत्येक नागरिक संसद रूपी संस्था का सदस्य है। इसी वजह से संविधान में लोकसभा व विधानसभा के चुनावों में वोट देने का अधिकार संविधान में मिला है। इसी तरह देश के अन्दर तमाम संस्थायें और संगठन है। जिसमें उसके वैध प्रतिनिधियों को संस्था और संगठन के चुनावों में वोट देने का अधिकार है। उनके अधिकार को छीना नहीं जा सकता, लेकिन जिला बार एसोसिएशन चित्रकूट के वैध प्रतिनिधियों को जो संस्था के वैधानिक सदस्य बनाए गए हैं। उन्हे संस्था के होने वाले 23 दिसम्बर के निर्वाचन में वोट देने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है जो एक गंभीर विषय है। यह प्रमाणित कर रहा है कि संस्थाओं के अन्दर निरंकुशता, मनमानी और तानाशाही की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। इस लड़ाई को ह्युमन राइट्स लीगल नेटवर्क ने अधिवक्ता बनाम अधिवक्ता के बैनर तले न्यायालय में याचिका दाखिल कर लड़ाई लड़ रही है। मामला न्यायालय में है और मसला संवैधानी अधिकारों के संरक्षण का है। जिसमें न्यायालय को विधि सम्मत निर्णय लेना है। इस याचिका में विपक्षी अधिवक्ताओं की उपस्थिति दर्ज हो गयी है। उन्हे याचिका के विरोध में शपथ पत्र दाखिल करने का अवसर दिया गया है। जिसकी अग्रिम सुनवाई 20 दिसम्बर को होगी। श्री मिश्र ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और लीगल नेटवर्क से जुड़े अधिवक्ताओं से अपील किया कि मानवाधिकार के हनन की लड़ाई में आगे आना होगा। इस लड़ाई में जहाँ गम्भीर खतरे हैं वहीं पीड़ित के लिये वरदान भी साबित होता है। बैठक में दुर्गा प्रसाद, संजीव कुमार, रमेश चन्द्र शुक्ला, राम मिलन यादव, ज्ञान चन्द्र, पंकज सिंह पटेल, राज कुमार पाल, नारायण सिंह, सुरेन्द्र कुमार, अजय सिंह, लल्लू राम त्रिपाठी, राम प्रताप विश्वकर्मा, राम सहाय सिंह आदि अधिवक्ता उपस्थित रहे।
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