हथगाम-फतेहपुर, शमशाद खान । आदाब साहित्यिक संस्था के तत्वाधान में हथगाम की धरती पर युवा कवियों ने उस्ताद शायर डा. वारिस अंसारी का सम्मान किया। साथ ही एक काव्य गोष्ठी का भी आयोजन हुआ। जिसकी अध्यक्षता डा. वारिस अंसारी ने की और संचालन युवा लोकप्रिय कवि शिवम हथगामी ने किया। कार्यक्रम का संयोजन युवा कवि फिल्म निर्देशक शिव सिंह सागर ने किया। यह कार्यक्रम पत्रकार राकेश साहू के आवास पर हुआ।
![]() |
सम्मानित होते शायर वारिस अंसारी। |
गोष्ठी के पहले कवि के रूप में अनुज साहू शम्स ने पढ़ा-मर गया मैं तो इसमें हैरत क्या, तुम ही बतलाओ क्या अमर हो तुम। शिव सिंह सागर ने अवधी भाषा में कविता पढ़ी- आवा चुनाव परधानी कै। शिवम् हथगामी ने पढ़ा एक गुजारिश प्यारी है मतदान करें। सबकी जिम्मेदारी है मतदान करें। अंत में उस्ताद शायर डा. वारिस अंसारी ने एक से बढ़कर एक उम्दा कलाम पेश किये। जिससे सुनने वालों के दिल खिल उठे। उनमें चार मिसरे पेश हैं- पतझड़ में पत्ते पेड़ के गीले नहीं होते, तश्न लबी में होंठ रसीले नहीं होते, शिव जी का रंग बदला था इक बार पी के विष, हम रोज जहर पीते हैं नीले नहीं होते। इसके अलावा सफी हम्बल, जीशान फतेहपुरी, विजय हथगामी, नीलेश निडर, श्रीकांत साहू ने भी काव्य पाठ किया। इस मौके पर राकेश साहू, अरूण साहू, लाल जी साहू, वसीक सनम, राजू फतेहपुरी, पीयूष यादव आदि लोग मौजूद रहे। सम्मानित किए गए शायर वारिस अंसारी ने कहा कि हथगाम क्षेत्र में युवा एवं वरिष्ठ रचनाकार पूरे देश में जनपद का नाम रोशन कर रहे हैं। उन्होंने अपना शेर सुनाया जहां अहले अदब रहते हैं परिपाटी महकती है, हमारे देश में हथगाम की माटी महकती है।
No comments:
Post a Comment