बुन्देली सेना ने की नदी को बचाने की अपील
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि। धर्मनगरी की जीवन रेखा मंदाकिनी नदी का भविष्य भयावह है। गर्मी के दिनों में 25-30 किमी. लंबी नदी में धूल उड़ रही है।नदी किनारे के दर्जनों गांवों में पशु-पक्षियों के लिए पानी का बड़ा संकट है। बावजूद इसके नदी के प्रदूषण को लेकर लोग गंभीर नहीं हैं। बुन्देली सेना ने लोगों से मंदाकिनी को बचाने की अपील की है।
सूखी मंदाकिनी नदी।
बुन्देली सेना के जिलाध्यक्ष अजीत सिंह ने बताया कि लगभग 70 किमी. लंबी मंदाकिनी नदी है। हर साल गर्मी के दिनों में तकरीबन 25-30 तक नदी सूख जाती है। व्योहरा चेकडैम के आगे मंदाकिनी में धूल उड़ रही है। बरेठी, औदहा, लोहदा, भानपुर, सगवारा, महुआ गांव, सरधुवा और भदेहदू समेंत नदी किनारे के गांवों में पानी की किल्लत है। विशेष समस्या पशु-पक्षियों को है। इन गांवों में विकट समस्या इस बात की है कि बारिश के दिनों में भयंकर बाढ़ के चलते इन्हें दंश झेलना पड़ता है और गर्मियों में नदी में बूंद भर पानी मिलता नहीं। बताया कि एक दशक भी नही हुए जब नदी का सूखना शुरू हो गया है। अगर लोग नहीं चेते तो हर दशक में 10 किमी. नदी सूखती चली जायेगी और अगले 2-3 दशकों में कर्वी का चपेट में आना तय है। नदी एक बार सूख गई तो दूसरी नदी बनाना असंभव है, लेकिन अभी लोग चेत गए तो नदी को बचा सकते हैं। बुन्देली सेना ने लोगों से अपील की है कि मंदाकिनी में प्रदूषण फैलाना बंद करें। प्लास्टिक कचरा, गंदगी नदीं में न बहाएं। अन्यथा आने वाली पीढ़ी बूंद-बूंद पानी को तरसेगी।
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