बांदा, के एस दुबे । कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के वानिकी महाविद्यालय में वैज्ञानिक ढंग से केंचुआ व खाद उत्पादन की नवीनतम तकनीकी पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण खत्म हो गया। वैज्ञानिकों ने किसानों को केंचुआ खाद उत्पादन तकनीकी पर प्रशिक्षण दिया। किसानों को केंचुआ खाद और वेस्ट डी कंपोजर वितरित की।
पांच दिवसीय केंचुआ व खाद उत्पादन की नवीनतम तकनीकी प्रशिक्षण मंगलवार को खत्म हो गया। कुलपति
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किसान को केचुआ खाद देते कुलपति यूएस गौतम |
डा.यूएस गौतम ने कहा कि केंचुआ खाद के उत्पादन से खेत में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ती है, वहीं इसे व्यवसाय के रूप में अपनाकर बुंदेलखंड के युवा अच्छी आय भी ले सकते हैं। बुंदेलखंड में जैविक खेती की संभावनाओं को देखते हुए केंचुआ खाद उत्पादन एक लाभप्रद व्ययसाय भी है। बुंदेलखंड के किसानों के लिए केंचुआ खाद बनाने के लिए आवश्यक संसाधन आसानी से उपलब्ध हो जाता है। इससे अन्य जगहों की तुलना में यहां लागत कम आती है। मिट्टी की घटती हुई पोषक क्षमता एवं सूक्ष्म जीव को संख्या के लिए इस तरह की
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कार्यक्रम में मौजूद किसान व अन्य |
कार्बनिक खादों की चिंता जरूरी है। यह प्रशिक्षण भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली की ओर से अनुसूचित जाति के किसानों के लिए आयोजित किया जा रहा था। प्रशिक्षण मुख्य प्रशिक्षक डॉ.अरविंद कुमार गुप्ता ने दिया। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण में कुल 20 प्रशिक्षु किसानों ने भाग लिया। सभी प्रशिक्षणार्थियों को 2-2 किलो केचुआ खाद और एक-एक किलो वेस्ट डी कंपोजर दिये गये। समापन के दौरान सभी प्रशिक्षुकों को कुलपति ने प्रमाण पत्र भी दिए। कार्यक्रम में डा. एसवी द्विवेदी, उद्यान महाविद्यालय, डा. संजीव कुमार, डा. वीके सिंह, डा. भानु मिश्रा, डा. देव कुमार आदि उपस्थित रहे।
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