कमासिन, बांदा, शमशाद खान । कमासिन कस्बे में चल रही संगीतमयी रामकथा के सातवें दिन की कथा में राम विवाह के बाद विदाई कथा का बड़ा ही मार्मिक प्रसंग की कथा बाल व्यास सुमन देवी ने वर्णन किया। जिसे सुनकर श्रोता भक्ति से ओत प्रोत हो गये।
श्री राम कथा सेवा समिति द्वारा आयोजित रामकथा के सातवें दिन राम विवाह के बाद वैदेही सहित अन्य बहनों की विदाई का वर्णन करते हुए सुश्री सुमन जी चित्रकूट ने कहा कि महारानी सुनैना से कौशल्या द्वारा अनुरोध कर कहा गया कि चारों बेटियों की विदाई मुदित मन से करें। लेकिन सुनैना के लिए बहुत ही कठिन था। चार चार बेटियों की विदाई कितनी कारुणिक होगी इसका एहसास लड़की की विदाई के वक्त मां बाप को ही हो सकता है। महारानी कौशल्या और राजा दशरथ ने कहा, हमारी बहू नहीं हमारी बेटियां हैं ।कथा व्यास ने कहा कि हम सब सीता जैसी बहू चाहते हैं लेकिन स्वयं कौशल्या नहीं बनती, यदि सीता जैसी बहू चाहिए तो कौशल्या बनना पड़ेगा ।बाल कथा
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श्रोताओं को कथा का रसपान कराती बाल व्यास सुमन देवी। |
व्यास ने कहा कि, वधु लरिकिनि पर घर आई, राखिहु नयन पलक की नांई।। आज हमें भी ऐसा बनना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस को हम अपने जीवन में नहीं उतारते। ध्वनि विस्तारक यंत्र से रामायण का पाठ करवाते हैं और यह समीक्षा नहीं करते कि हमारे जीवन में रामायण कितनी उतरी, अपने जीवन में रामायण उतार कर कितना सार्थक कर पाए। विदाई में मां सुनैना का कलेजा फटा जा रहा है।एक बेटी की विदाई का दर्द कितना कार्मिक होता है यहां तो चार-चार बेटियों की विदाई की जा रही है।कथा में कथा व्यास िमनीषानंद महाराज अयोध्या ने राम विवाह के साथ विदाई का सजीव मार्मिक प्रसंग प्रस्तुत किया। विदाई के समय माता सुनैना अपनी बेटियों को सिखावन देती है,संस्कार देती है। कि ससुराल में किस तरह रहना है और जीवन जीना है। इसका पालन हम को भी करना चाहिए ।अष्टांग योगी जनक जो विदेह राज हैं, विदाई में उनकी दशा का वर्णन करना कठिन है। कथा मंच का संचालन कर रहे राजा बडगैया जे पी मिश्रा ने अपनी कमेटी सहित कथा सुनने वाले भक्तों को कोविड-19 का पालन कराते हुए सुचारू रूप से व्यवस्था कर रहे हैं। इस मौके पर राम प्रसाद यादव, रामानुज यादव, राजू तिवारी, दिनेश रुपौलिहा एवं समिति के अन्य सदस्यों का सहयोग सराहनीय है।
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