बुन्देलखण्ड में फूलों की खेती की अपार संभावनाए
बांदा, के एस दुबे । किसानों की आय को दोगुना करने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा भी ऐसे आयोजन किए जा रहे हैं, जिससे किसानों को परंपरागत खेती से हटकर खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। बुंदेलखंड में फूलों की खेती की अपार संभावनाएं हैं। इससे किसानों की आमदनी काफी हद तक बढ़ सकती है। यह बात कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. यूएस गौतम ने कही। वह बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के उद्यान महाविद्यालय के पुष्प विज्ञान एवं भू दृश्य निर्माण विभाग द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अनुसूचित जाति उपयोजना के सहयोग से आयोजित पुष्पों की वैज्ञानिक खेती विषय पर प्रक्षेत्र दिवस कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
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किसानों को संबोधित करते कुलपति डा. यूएस गौतम |
मुख्य अतिथि कुलपति श्री गौतम ने किसानों को बताया कि बुन्देलखण्ड में परम्परागत खेती से हटकर यदि अधिक मूल्यवान फूलों की खेती की जाय तो इस क्षेत्र का किसान अत्यधिक मुनाफा कमा सकता है। बुन्देलखण्ड में फूलों की खेती की अपार संम्भावनाए हैं। डा. एसवी द्विवेदी, अधिष्ठाता उद्यान महाविद्यालय एवं कार्यक्रम के अध्यक्ष ने बताया कि फूलों के विपणन की इस क्षेत्र में काफी सम्भावनाएं है। चित्रकूटधाम जैसे तीर्थ स्थानों में गेंदा एवं अन्य फूलों की मांग वर्ष भर बनी रहती है। डा. अजय कुमार सिंह, सह प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष, पुष्प विज्ञान विभाग ने किसानों को गुलदाउदी की खेती पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी साथ ही साथ फूलों की नर्सरी के बारे मे भी अवगत कराया। कृष्ण सिंह तोमर, सहायक प्राध्यापक पुष्प विज्ञान एवं कार्यक्रम के समन्वयक ने गेंदा की खेती के बारे में विस्तृत जानकारी दी। फूलों के मूल्य वर्धन के बारे में भी अवगत कराया। श्री तोमर ने बताया कि फूलों को सुखाकर कई उत्पाद बनाकर भी अत्यधिक लाभ कमाया जा सकता है। डा. राकेश कुमार, सहायक प्राध्यापक पुष्प विज्ञान ने ग्लेडियोलस की खेती के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शादी एवं अन्य उत्सवों में इनकी काफी मांग रहती है। करीब 55 अनुसूचित जाति के किसानों एवं महिलाओं ने प्रतिभाग किया कार्यक्रम में कुलपति द्वारा पुष्प विज्ञान विभाग द्वारा तैयार अधिक उपज देने वाली गेंदा की पौध सभी प्रतिभागियों को वितरित की गई। कार्यक्रम में डा. सुभाष सिंह, वैज्ञानिक बांदा केबीके, पुष्प विज्ञान विभाग के सभी परास्नातक एवं शोध छात्र एवं कर्मचारीगण रामकुमार, असद, अब्बास, सीताराम, रमेश कुमार आदि उपस्थित रहे।
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