चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि। मुख्यालय में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के समापन पर कथा व्यास ने कहा कि गुरु की कृपा के बगैर भगवान की कृपा नहीं होती। बुराई को दूर कर अच्छाई ग्रहण करें।
शुक्रवार को मुख्यालय के बस स्टैन्ड स्थित केसरवानी धर्मशाला में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के समापन अवसर पर कथा प्रवक्ता अमरकृष्ण शास्त्री ने सुदामा चरित्र की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के विधा अध्ययन के दौरान मित्र बने सुदामा बेहद गरीब ब्राह्मण थे। जिन्होंने महज पांच घरो में भिक्षा मांग कर भोजन करते थे। अगर इन पांच घरो में भोजन नहीं मिला तो भूखे परिवार सहित रहते थे। भगवान श्रीकृष्ण के अनुयायी भक्त
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कथा रसपान कराते कथा प्रवक्ता। |
सुदामा चावल की पोटली लेकर श्रीकृष्ण से मिलने द्वारिका पहुंचे। जहां भगवान श्रीकृष्ण उनकी दीनदशा देखकर भावुक हो उठे। दो मुट्ठी चावल खाकर दो लोकों का राजा बना दिया था। तीसरी मुट्ठी खाने के दौरान पत्नी रुकमिणी ने रोक लिया। जिससे यह प्रतीत हुआ कि भगवान भक्त के प्रति सदैव समर्पित रहते हैं। कहा कि गुरु कृपा बिना भगवान की कृपा नहीं मिलती। संसार को प्रेम से जीता जा सकता है। जोश और होश से काम करने पर प्रगति होती है। युवाओ में जोश, बुजुर्गो में होश होता है। इस मौके पर यजमान मनोज द्विवेदी, अमित द्विवेदी, सुमित्रा देवी, शिवराम मिश्रा, राधेश्याम तिवारी, अमरनाथ द्विवेदी, स्वपनिल द्विवेदी, प्रभाकर, शिवा अवस्थी, सरयू सोनी, नर्बदा पयासी, राजनारायण गर्ग आदि श्रोतागण मौजूद रहे।
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