चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि। लोकगीत की विलुप्त हो रही विधाओं को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के मकसद से प्रदेश के एक छोटे से गांव अंबेडकर नगर की मानसी रघुवंशी ने लोकगीतों के माध्यम से अलग पहचान बनाई है। इसीका नतीजा है कि उनको धर्मनगरी में आयोजित होने जा रहे राष्ट्रीय रामायण मेले में कार्यक्रम प्रस्तुत करने का अवसर प्राप्त हुआ है। वर्तमान समय में लखनऊ निवासी लोक गायिका मानसी रघुवंशी को बचपन से ही गायकी का शौक था। इनके पिता डॉ दिलीप कुमार सिंह को लगा कि बेटी को संगीत में ही आगे बढ़ाना चाहिए। मानसी ने बचपन में ही कई शो किए हैं। फिर इनकी संगीत की शिक्षा शुरू हुई। 18 वर्ष की आयु में इनको गवर्नर अवार्ड से सम्मानित किया गया है। दूरदर्शन में भी इनके कई प्रोग्राम प्रसारित हुए हैं। साथ ही कई न्यूज चैनल में भी इनको बुलाया गया और अब यह बाजा ऐप में लोकगीतों के ऊपर काम कर रही हैं। इनका मानना है कि लोकगीत देश की सांस्कृतिक
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गायिका मानसी रघुवंशी। |
धरोहर है। जिसे जीवंत बनाए रखना मूल कर्तव्य है। लोकगीत संगीत को समृद्ध किया है। सोहर लोकगीतों में इस धरती की आत्मा के स्वर हैं। मानसी ने बताया कि कोरोना संकट काल में आवाज फीकी न पड़े इसके लिए बाजा एप में ऑनलाइन प्रतिभा बिखेरने का मौका मिला। जिसमें अब तक बाजा एप के जरिये 300 से अधिक लोकगीत प्रस्तुत हो चुके हैं। बाजा ऐप टॉप ग्रेड आर्टिस्ट भी है। इसमें आर्थिक श्रोत भी मजबूत हुआ है। उनका यह एप प्रवासी भारतीयों के बीच बेहद लोकप्रिय हो रहा है। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में इस एप से जुड़ी थी। उनके लिए यह एप अपनी कला को घर बैठे पूरी दुनिया में पहुंचाने का एक सशक्त माध्यम बन गया है। इसी के जरिये उन्हें धर्मनगरी चित्रकूट में आयोजित राष्ट्रीय रामायण मेले में लोक गायिकी के लिए आमंत्रित किया गया है। जहाँ वह अपनी गायिकी का जादू बिखेरेंगी।
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