सिलबट्टे पर पिसे मसाले से नष्ट नहीं होते पौष्टिक तत्व, घर-घर में होता था इस्तेमाल
खागा-फतेहपुर, शमशाद खान । सिलबट्टा भी बड़े कमाल की चीज है। इसमें मिक्सी की तरह न तो कोई तामझाम और न ही बिजली की जरूरत। यह आसानी से काम करने वाला हर तरह से प्रयोग के लिए हर समय तैयार रहता है। सिलबट्टे में पिसे मसाले का जो स्वाद आता है वो किसी मशीनरी से पिसे मसाले मेें कहां आता है। पुराने जमाने में लोग मसाले पीसने व चटनी बनाने के लिए सिलबट्टे का प्रयोग करते थे। हां ये जरूर था कि इसमें महिलाओं की मेहनत व समय दोनों लगता था, लेकिन स्वाद जोआता था, वो बहुत कमाल का होता था, लेकिन आजकल चकाचैंध की दुनियां में लोग समय बचाने के साथ ही जल्दी-जल्दी काम निपटाने के लिए बिजली से चलने वालो मिक्सर का प्रयोग करने लगे हैं। मसाला पीसने की यह पुरानी पद्वति विलुप्त होती जा रही है। अब लोग मिक्सी पर अपना ध्यान ज्यादा केंद्रित कर रहे हैं। एक समय था जब लोग सिलबट्टा खरीदने के लिए गांव में मेले का इंतजार किया करते थे,
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सिलबट्टा तैयार करता कारीगर |
लेकिन अब इस कारोबार को जंग सा लग गया है। बदलते परिवेश ने सिलबट्टा का व्यापार करने वाले कारीगरों की रोजी-रोटी पर खासा असर पड़ा है। इसको तैयार करने वाले कारीगरों को दिन भर ग्राहकों का इंतजार करना पड़ता है। सिलबट्टा कारीगर राममिलन ने बताया कि ये हमारा पुस्तैनी काम है। उन्होने बताया कि हमारे पास 150 से 500 रूपया तक के सिलबट्टे उपलब्ध हैं। इस बार कारोबार में काफी गिरावट आई है। ग्राहकों की संख्या और सिल के प्रति रूचि भी घटी है। हाल ये हैं कि पूरे दिन में एक या दो ही ग्राहक आते हैं। जहां तक देखा गया है कि गांवों में तो सिलबट्टे का चलन अभी प्रचलित है, लेकिन शहरी क्षेत्रों में इसका प्रचलन एकदम खतम हो रहा है। वहां सिलबट्टा की जगह इलेक्ट्रॉनिक मिक्सी का अधिक प्रयोग होने लगा है। इससे न सिर्फ मसालों का स्वाद समाप्त होता है, बल्कि मसाला के पौष्टिक तत्वों पर भी इसका कुप्रभाव पड़ना स्वाभाविक है।
नही होता प्रदूषण
सदियों से चला आ रहा सिलबट्टा मिक्सी के मुकाबले ज्यादा प्रगतिशील व आधुनिक होता है। इसमें कोई प्रदूषण नही होता है। प्राकृतिक हवा के संपर्क में आने से मसालों का स्वाद प्रभावित नही होता है। मिक्सी भले ही सूखे मसालों को जल्दी पीस कर तैयार कर देती हैं, लेकिन इसमें ज्यादा ऊर्जा के कारण पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
सिलबट्टे के फायदे
सिलबट्टे पर मसाला पीसने पर खुशबू धीरे-धीरे नांक के जरिए दिमाग तक पहुंचती है। इससे भोजन करने में आनंद की अनुभूति होती है। सिलबट्टे पर किसी चीज को पीसते समय महिलाओं की एक प्रकार से वर्जिस भी हो जाती है। इससे शरीर का मोटापा भी कम होता है, लेकिन आधुनिकता की आपाधापी के वर्तमान युग में लोग हाथ-पैर के अलावा मशीनरी चीजों का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं, जो कहीं न कहीं हमारे शरीर पर अपना कुप्रभाव छोंड रहे है और कई तरह की बीमारियों का कारण भी बन रहे हैं।
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