संत तुलसी पब्लिक स्कूल में आयोजित रामकथा का सातवां दिन
बांदा, के एस दुबे । शहर के संत तुलसी पब्लिक स्कूल में आयोजित की जा रही रामकथा के सातवें दिन कथाव्यास रामकृष्ण वेदान्ती महाराज चित्रकूट ने भगवान श्रीराम के वन गमन का प्रसंग बड़े ही सुन्दर ढंग से सुनाया।
कथावाचक ने कहा कि श्रीराम जी के विवाह के बाद महाराज दशरथ ने गुरू जी की आज्ञा से श्रीराम चन्द्र जी का राज्याभिषेक करने की बात की। यह समाचार जैसे ही महारानी कैकेयी को मिला तो उन्होने दासी मंथरा के कहने पर अपने दो वचन महाराज से मांग लिये। जिसमें उन्होने पहले वचन में अपने पुत्र भरत का राज्याभिषेक तथा दूसरे वचन में श्रीराम जी का 14 वर्ष का वनवास मांग लिया। यह सुनते ही महाराज दशरथ अचेत हो गए।
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कथा सुनाते हुए वेदांती महाराज |
ह समाचार सुनते ही श्रीराम ने पिता के आदेश से 14 वर्ष के वनवास जाने की तैयारी शुरू कर दी। उनके साथ माता सीता व अनुज लक्ष्मण भी वन जाने को तैयार हो गये। सुमंत जी जैसे रथ में बिठाकर उन्हें वन की तरफ ले जाने लगे। यह दृश्य देखकर नगर की जनता उनके पीछे दौड़ पड़ी। उन्होंने भगवान श्रीराम जी से वन न जाने की प्रार्थना करते हुए उन्हें भी वन ले जाने की बात कही। तब उन्होने कहा कि मेरा वनवास हुआ और आप लोगो का नहीं। आप सब अयोध्या की प्रजा हैं और आप सबका यहां रहना अति आवश्यक है। अपने भगवान से अति प्रेम होने के कारण नगर की प्रजा उनके रथ के पीछे-पीछे सरयू नदी के किनारे तक चली गई। जब भगवान ने देखा कि ये लोग
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मौजूद श्रोतागण |
नहीं मानेगंे तो उन्होने रात्रि विश्राम सरयू नदी के किनारे ही करने का अनुरोध किया। सभी रात्रि में जब गहरी निद्रा में सो गये तो उन्होंने भोरकाल में ही सरयू नदी पार करके वन के लिये प्रस्थान कर गये। कथा सुनकर श्रोता भावविभोरहो गए। कथा के पूर्व सुबह रामायण का संगीतमय पाठ हुआ। गायत्री परिवार द्वारा पंच कुंडीय महायज्ञ का आयोजन हुआ और ग्राम अरबई की बहनों द्वारा रामराज जी के नेतृत्व में सुबह 10 बजे से ही वेद-मंत्रोच्चार के साथ किया गया। जिसमें प्रतिदिन की भांति विद्यालय के छात्रों व शिक्षकों के साथ गायत्री परिवार के लोगो ने हवन कर जन कल्याण की कामना की। इस हवन से समस्त वातावरण शुद्व हो जाता है।
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