बांदा, के एस दुबे । नौ दिवसीय संगीतमयी रामकथा के आठवें दिन कथा व्यास ने ‘कछु दिन करो अग्नि मा बासा, तो मैं करौं निशाचर नासा’ चैपाई के बीच सीता हरण और बालि वध की कथा सुनाई गई। सीता हरण का प्रसंग सुनकर श्रोताओं की आंखें नम हो गईं।
इंदिरा नगर स्थित संत तुलसी पब्लिक स्कूल में चल रही रामकथा के आठवें दिन रविवार को कथा वाचक वेदांती
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कथा सुनाते वेदांती महाराज |
महराज ने बताया कि हरण सती सीता का नहीं बल्कि उनकी छाया का हुआ था। निशाचरों के वध के लिए श्रीराम की बात पर सती सीता ने अग्नि में वास कर लिया था। लंका पति रावण ने छाया रूपी सीता का हरण किया था। कहा कि सीता और लक्ष्मण के साथ भगवान राम जब वन को निकले तो अयोध्या में मायूसी छा गई। पंचवटी में सूर्पणखा मिली और उसने श्रीराम से विवाह करने की इच्छा जताई। मना करने पर उसने राक्षसी रूप धर कर सीता जी को डराने का प्रयास किया तो क्रोधित होकर लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी। नाक कटने के बाद सूर्पनखा अपने भाई
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मौजूद श्रोतागण |
लंकापति रावण के पास पहुंची और इस घटना के बारे में बताया। इस घटना से अपमानित रावण ने सीता के हरण की योजना बनाई और अपने मामा मारीच को स्वर्ण मृग के रूप में वन में घूमने के लिए कहा। सोने का मृग देख सीता जी ने उसको पाने की इच्छा जताई। भगवान राम उसके पीछे चले गए। इतने में मृग बने मारीच ने माया रचकर लक्ष्मण को आवाज लगाई। मौका पाकर रावण सीता को कुटी से उठाकर लंका ले गया। सीता हरण का प्रसंग सुनकर श्रोताओं की आंखें नम हो उठीं। उधर, कथा आयोजक संत कुमार ने बताया कि मंगलवार को विद्यालय परिसर में सुंदरकांड पाठ और भंडारे के साथ रामकथा का समापन होगा।
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