घर के काम के साथ मरीजों तक पहुंचा रहीं टीबी की दवा
डाट्स प्रोवाइडर बनकर 95 मरीजों को टीबी से दिला चुकी हैं मुक्ति
अपनी बस्ती के अलावा पड़ोसी गांव में भी जाकर देती हैं दवा
बांदा, के एस दुबे । देश को वर्ष 2025 तक टीबी से मुक्त कराने के लिए केंद्र व राज्य सरकार लगातार प्रयासरत हैं। डाट्स प्रोवाइडर के रूप में काम रह रहीं शांति प्रजापति इस मुहिम को सार्थक करने में जुटी हैं। घर के कामकाज के साथ वह टीबी मरीजों को दवा खिलाना नहीं भूलतीं। अब तक वह 95 मरीजों को दवा खिलाकर इस रोग से मुक्ति दिला चुकी हैं। उनके क्षेत्र में मात्र एक टीबी मरीज ही बचा है।
शहर के मोहल्ला खाईपार की रहने वाली शांति प्रजापति एक गृहणी हैं। उनके दो बच्चे हैं। वर्ष 2017 में उन्होंने डाट्स सेंटर खोलकर डाट्स प्रोइवडर के रूप में काम की शुरूआत की। शांति बताती हैं कि उनकी बस्ती में मजदूर पेशा लोग ज्यादा रहते हैं। शिक्षा का अभाव, खानपान में कमी व मामूली खांसी जैसे रोग की अनदेखी कर टीबी जैसे रोग की चपेट में आ गए। शांति बताती हैं कि वह स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी हैं। उनके पति ओम प्रकाश मेडिकल स्टोर संचालक हैं। वह भी इस काम में उनका पूरा सहयोग करते हैं।
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मरीज को टीबी की दवा खिलाती डाट्स प्रोवाडर शांती प्रजापति |
अब तक वह 95 टीबी रोगियों को दवा खिलाकर ठीक कर चुके हैं। इसमें एमडीआर के चार मरीज शामिल हैं। उन्होंने बताया कि उनका एक मरीज शहर से सटे हुए पल्हरी गांव में रहने लगा, जिसे वह नियमित रूप से दवा खिलाने उसके गांव जाती थी। दो जनवरी से 12 जनवरी तक चले एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) के दौरान उनके क्षेत्र में 17 लोगों के सैंपल लिए गए थे। जिसमें एक मरीज की रिपोर्ट पाजिटिव आई है। शांति ने बताया कि वह दवा के अलावा पौष्टिक खानपान और रोज सुबह टहलने की सलाह भी देती हैं। उन्होंने खुद भी इसे अपनी आदत में शुमार कर लिया है।
जनपद में है टीबी के 2000 मरीज
बांदा। जिला क्षय रोग अधिकारी डा.एमपी पाल ने बताया कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी को समूल रूप से समाप्त करने की मुहिम चला रखी है। इसके चलते जनपद में सघन टीबी रोगी खोज अभियान (एसीएफ) चलाकर मरीजों को खोजा जाता है। मौजूदा समय में जनपद में 2000 टीबी मरीज हैं, जिसमें 315 मरीज एमडीआर के हैं। जिले के सभी डॉट्स प्रोवाइडर अच्छा कार्य कर रहे हैं, जिन्हें शासन से मिलने वाली प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
मुहिम में जुटे 556 डाट्स प्रोवाइडर
बांदा। जनपद में करीब 556 डाट्स प्रोवाइजर टीबी मुक्त भारत की मुहिम को पंख रहे हैं। इनमें आशा बहू, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सोशल वर्कर्स शामिल हैं। अलग-अलग श्रेणी के टीबी मरीजों को दवा खिलाने के एवज में डाट्स प्रोवाइडर को शासन से प्रोत्साहन राशि मिलती है। छह माह का कोर्स कराने पर एक हजार रुपए और एमडीआर टीबी के मरीजों जिनका 24 माह का कोर्स होता है, उन्हें दवा खिलाने के बदले डाट्स प्रोवाइडर को पांच हजार रुपए की राशि दी जाती है।
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