गौशाला में भूसा बैंक भी बनाया गया
बांदा, के एस दुबे । गिरवां थाना क्षेत्र के जरर गांव में किसानों और ग्रामीणों की जुगलबंदी ने अनूठा काम कर दिखाया। बिना सरकारी मदद के किसानों और ग्रामीणों ने एकजुट होकर खुद ही न सिर्फ गौशाला बनाई बल्कि भूसा बैंक भी बनाया। ताकि मवेशियों को संरक्षित करने के साथ ही उनकी भूख भी मिटाई जा सके। भूसा बैंक के बारे में बताया गया कि ग्रामीणों और किसानों की मदद से थोड़ा-थोड़ा भूसा और पुआल उपलब्ध कराया जा रहा है, जिसेस तकरीबन दो सैकड़ा गोवंश का पेट भरा जा रहा है।
लोग कहते हैं कि चार उंगलियां मिल जाएं तो मुट्ठी बन जाती है। जरर गांव के ग्रामीणों ने अन्ना मवेशियों से लड़ने का दम भरने वाले सरकारी सिस्टम ने जब उनकी पुकार नहीं सुनी तो ग्रामीणों ओर किसानों ने एकजुट होकर खुद ही समस्या से लड़ने की ठान ली। ग्रामीणों ने स्वयं गौशाला बनाई और भूसा बैंक भी बनाया। तकरीबन दो सैकड़ा
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गौशाला और भूसा बैंक बनाने वाले किसान व ग्रामीण |
किसानों का पेट भरने के लिए सभी का सहयोग लिया जा रहा है। दरअसल पूरे जनपद की तरह जरर गांव भी अन्ना मवेशियों की समस्या से जूझ रहा था। किसान ठंड सर्द रातों में जागकर खेत की रखवाली करने को मजबूर थे। सिस्टम से गुहार लगाई, माननीयों से पुकार लगाई, जब किसी ने ध्यान नहीं दिया तो गांव वालों ने खुद ही गौशाला का निर्माण कर डाला। भूसा बैंक भी बनाया गया है। सस्भी ग्रामीण अपने पास से भूसा और पुआल इकट्ठा करेगा और मवेशियों की भूख मिटाई जाएगी। गांव वालों का यह प्रयास रंग लाया और अन्ना मवेशियों से निपटने का प्रयास सफल हुआ। जरर गांव के किसानों और ग्रामीणों की यह कारगुजारी बुंदेलखंड के लिए मिशाल बन गई है। गांव के ओमप्रकाश मिश्र, रामआसरे, बाबू शुक्ला, रामस्वरूप तिवारी, राकेश कुमार, जितेंद्र शुक्ला, मातादीन यादव, देवीदयाल आदि ने सराहना की।
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