चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि। सदर ब्लाक अंतर्गत ग्राम पंचायत साईपुर में बागे नदी के किनारे गांव के मध्य स्थित पर्वत पर हिंदू मुस्लिम दोनों धर्मों के आस्था के प्रतीक साईं बाबा के दरबार में लगने वाले तीन दिवसीय मेले के दूसरे दिन महामारी को दरकिनार कर श्रद्धालुओं का हुजूम एकत्र हुआ। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मेला प्रभारी बनाये गये पहाडी थाना के एसआई प्रभुनाथ यादव, एसआई हरेंद्रनाथ थाना रैपुरा पुलिस बल के साथ मेला परिसर में बराबर निगाह जमाए हुए हैं। पहाड पर स्थित बाबा की मजार पर श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कत न हो इसके लिए एसआई राजेश कुमार यादव ड्यूटी में तैनात हैं। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि कमलेश कुमार यादव ने दूरदराज से आए श्रद्धालुओं के ठहरने आदि की समुचित व्यवस्था की गई है। मेले में प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, नागपुर, मुंबई, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब आदि सुदूर क्षेत्रों से हिंदू-मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग बड़ी मान्यता के साथ यहां आते हैं। यह मेला विगत 50 वर्षों से यहां पर संचालित हो रहा है। लोगों के अनुसार एक
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मेला में उमड़े श्रद्धालु। |
बार बुंदेलखंड के राजा छत्रसाल सिंह अपने लड़के की बारात लेकर किसी गांव जा रहे थे साईपुर स्थित बागे नदी के समीप स्थित बगिया में उन्होंने पड़ाव डाल वही कुछ नर्तकी को लेने चले गये। तब तक राजा के कुछ सैनिकों द्वारा बगिया को तहस-नहस कर दिया गया। जिससे नाराज होकर बाबा ने सभी को जमींदोज हो जाने का शाप दिया। जब सभी बाराती नाव द्वारा नदी पार कर रहे थे तभी नाव अचानक पलट गई और सभी लोग डूब गए। जब महराज छत्रसाल वापस आये व बारात नही देखी तो परेशान होकर वही जानवर चरा रहे चरवाहे से जानकारी ली। तब चरवाहे ने पूरी दास्ता बतायी। यह बात राजा को पता चली तो वह आकर महाराज के चरणों पर गिर पड़ा व माफी मांगी। तब साईं बाबा ने पूरी बारात को जल से निकाला। तभी से लोग यहां हर साल मकर संक्रांति के दिन से तीन दिन तक बाबा की मजार में आकर मत्था टेकते हैं।
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