दो दिवसीय उर्स मखदूम रब्बानी सम्पन्न
बांदा, के एस दुबे । शहर के कच्चा तालाब स्थित मखदूम रब्बानी की दरगाह में दो दिवसीय उर्स आयोजित किया गया। मनकबत की महफिल के साथ इसका समापन हुआ। उर्स में फातेहा ख्वानी, कुरान ख्वानी, चादर जुलूस तकरीर, नात मनकबत की महफिल सजाई गई। मखदूम रब्बानी का उर्स शुक्रवार को शुरू हुआ। उर्स के पहले दिन जुमा की नमाज के बाद गुलाब बाग निवासी शहजाद वारसी के आवास से चादर जुलूस उठाया गया। जुलूस सलातो सलाम के साथ अलीगंज स्थित रब्बानी आवास पहुंचा। रब्बानी आवास से सैय्यद खुशतर रब्बानी की कयादत में जुलूस हाथीखाना लोहिया पुल होता हुआ कच्चे तालाब स्थित मखदूम रब्बानी की दरगाह पहुंचा। दरगाह में रस्म संदल अदा की गई। उसके बाद चादर पोशी हुई और तकरीर की महफिल सजी।
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कलाम पढ़ते शायर |
उर्स के दूसरे दिन शनिवार को अलीगंज रब्बानी आवास में कुरआन ख्वानी फातेहा और लंगर हुआ। रात में नात मनकबत का मुशायरा आयोजित हुआ। इसकी सदारत (अध्यक्षता) सैय्यद अमजद रब्बानी और निजामत (संचालन) नजरे आलम ने की। मुशायरे में सज्जादा नशीन सय्यद खुशतर रब्बानी ने पढ़ा तेरे दीवानों की तौकीर देख कर खुशतर, खिरद के होशो हवास अब ठिकाने आये हैं। फखरे आलम बांदवी ने शेर सुनाया, बुझा के शम्मे अना और नफरतों के दिये, चिरागे हुस्ने अकीदत जलाने आये हैं। गौहर रब्बानी का शेर था, वो किस लिए किसी नेमत के वास्ते तरसे, के जिसपे आपका फैजान झूम के बरसे। डाक्टर खालिद इजहार ने कलाम सुनाया, मुझे भी मिल गया है मेरे पीर का दामन, इजहार मेरे भी दिन अब सुहाने आये हैं। शमीम बांदवी ने शेर सुनाया, महक रहा है चमनजार उस गुलेतर से, किताबे हक जो सुनता रहा कटे सर से। मुशायरे की सदारत कर रहे सैय्यद अमजद रब्बानी ने कलाम पढा, हमारी बेखुदी देखो के हाले दिल अपना, जिसे खबर है उसी को बताने आये हैं। इनके अलावा मुशायरे में अनवर बांदवी, वाकिफ बांदवी, सईद वारसी, सलीम इटावी, नजरे आलम, वली बांदवी, रहबर रब्बानी, सर्वर रब्बानी, गुलजार बांदवी, शरीफ बांदवी, रईस अहमद अब्बा बांदवी, मास्टर नवाब अहमद असर, मुनव्वर बांदवी, सैय्यद मीर रब्बानी, नूर मोहम्मद, अकबर रब्बानी, अशअर रब्बानी, जाहिद रब्बानी, असगर रब्बानी आदि ने भी अपने अपने कलाम सुनाए। अंत सैय्यद खुशतर रब्बानी ने सलातो सलाम पढ़ और दुआ की इसी के साथ दो दिवसीय मखदूम रब्बानी के उर्स का समापन्न हो गया।
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